He started writing poems at the apparent age of seven. He wrote some collection of ghazals titled Ikai, Kulliyate Bashir Badr, Aamad, Image, Aahat and Devanagari script ghazals titled Ujale Apni Yadon Ke. During his career, he wrote two books titled Azadi Ke Bad Urdu Ghazals Ka Tanqidi Mutala (Critical study of Urdu ghazal after independence) and Biswin Sadi Mein Ghazal (Ghazals in 20th century) focused on literary criticism.
डॉ॰ बशीर बद्र को उर्दू का वह शायर माना जाता है जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी दूरी तक लोगों की दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। साहित्य और नाटक आकेदमी में किए गये योगदानो के लिए उन्हें १९९९ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
(Source: As read on Wikipedia)
Basheer Badr Shayari and Poems
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Some Latest Added Shayari of Basheer Badr
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- ऐसा लगता है जिन्दगी तुम हो – बशीर बद्र
- सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा – बशीर बद्र
- कौन आया रास्ते, आईनाख़ाने हो गए – बशीर बद्र
- जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा – बशीर बद्र
- मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला – बशीर बद्र
- वो नही मिला तो मलाल क्या – बशीर बद्र
- ख़ुश रहे या बहुत उदास रहे – बशीर बद्र
- सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो – बशीर बद्र
- कभी तो आस्माँ से चाँद उतरे जाम हो जाए – बशीर बद्र
- रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए – बशीर बद्र
Basheer Badr Some Famous Sher
- उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए - उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया हैमैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता हैहै अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम हैरोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर
उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहाकभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता हैकभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाएअगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगाउड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
Basheer Badr Shayari Poem Ebook
फ़िलहाल हमारे संकलन में बशीर बद्र साहब की एक ही ई-बुक है, वो आप डाउनलोड कर सकते हैं नीचे दिए गए लिंक से –