His poetry about the Karbla is well accepted and recited all over Pakistan. He was an active member of Shia Muslim community which is believed to be the reason behind his assassination. Naqvi published several books of poetry during his lifetime. He gained a title of Iqbal e Sani.
(Source: As read on Wikipedia)
Mohsin Naqvi Shayari
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Some Latest Added Poems of Mohsin Naqvi
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- आँखों में कोई ख़्वाब उतरने नहीं देता – मोहसिन नकवी
- पागल आँखों वाली लड़की – मोहसिन नकवी
- निगाह-ए-यार पे पलकों की अगर लगाम न हो – मोहसिन नकवी
- न सन्नाटों में तपिश घुले- मोहसिन नकवी
- ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो – मोहसिन नकवी
- तमाम शब् जहाँ जलता है इक उदास दिया – मोहसिन नकवी
- ख्वाब आँखों में चुभो कर देखूं – मोहसिन नकवी
- तेरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है – मोहसिन नकवी
- उजड़े हुए लोगों से गुरेज़ाँ न हुआ कर – मोहसिन नकवी
- एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी – मोहसिन नक़वी
मोहसिन नकवी के कुछ चुनिन्दा शेर
- ज़बाँ रखता हूँ लेकिन चुप खड़ा हूँ
मैं आवाज़ों के बन में घिर गया हूँ
यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ‘मोहसिन’
वो काँच का पैकर है तो पत्थर तिरी आँखेंसुना है शहर में ज़ख़्मी दिलों का मेला है
चलेंगे हम भी मगर पैरहन रफ़ू कर केबड़ी उम्र के बा’द इन आँखों में कोई अब्र उतरा तिरी यादों का
मिरे दिल की ज़मीं आबाद हुई मिरे ग़म का नगर शादाब हुआकहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सितमगरी की
कि मैं गुलाबों के ज़ख़्म काँटों से सी रहा हूँ