ख्वाब आँखों में चुभो कर देखूं – मोहसिन नकवी

मोहसिन नकवी उर्दू शायरी के एक बड़े नाम वाले शायर हैं. उनकी लिखी हुई एक ग़ज़ल आज पढ़िए – “ख्वाब आँखों में चुभो कर देखूं”

Mohsin Naqvi

ख्वाब आँखों में चुभो कर देखूं
काश मैं भी कभी सो कर देखूं

शायद उभरे तेरी तस्वीर कहीं
मैं तेरी याद में रो कर देखूं

इसी ख्वाहिश में मिटा जाता हूँ
तेरे पांव, तेरी ठोकर देखूं

अश्क हैं, वहम की शबनम, के लहू ??
अपनी पलकें तो भिगो कर देखूं

केसा लगता है बिछड़ कर मिलना ?
मैं अचानक तुझे खो कर देखूं

अब कहाँ अपने गिरेबान की बहार ?
तार में ज़ख्म पिरो कर देखूं

मेरे होने से न होना बेहतर
तू जो चाहे, तेरा हो कर देखूं ?

रूह की गर्द से पहले मोहसिन
दाग़-ए-दमन को तो धो कर देखूं