मोहसिन नकवी उर्दू शायरी के एक बड़े नाम वाले शायर हैं. उनकी लिखी हुई एक ग़ज़ल आज पढ़िए – “ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो”
ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो
मौत अच्छी है अगर वक़्त पे आ जाये तो
मुझ को जिद है के जो मिलना है फलक से उतरे
उस की ख्वाहिश है दामन कोई फैलाये तो
कितनी सदियों की रफ़ाक़त, मैं उसे पहना दूँ
शर्त यह है वो मुसाफिर कभी लौट आये तो
धूप “मोहसिन” है ग़नीमत मुझे अब भी लेकिन
मेरी तन्हाई को साया मेरा बहलाए तो