एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी – मोहसिन नक़वी

मोहसिन नकवी उर्दू शायरी के एक बड़े नाम वाले शायर हैं. उनकी लिखी हुई एक ग़ज़ल आज पढ़िए – “एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी ”

Mohsin Naqvi

एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी

एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी
गलियों गलियों मुझसे मिलने आये भी घबराये भी

रात गए घर जाने वाली गुमसुम लड़की राहों में
अपनी उलझी जुल्फों को सुलझाए भी घबराये भी

कौन बिछड़ कर फिर लौटेगा क्यों आवारा फिरते हो
रातों को एक चाँद मुझे समझाये भी घबराये भी

आने वाली रुत का कितना खौफ है उसकी आँखों में
जाने वाला दूर से हाथ हिलाए भी घबराये भी