Shri Ram Raksha Stotra Lyrics(राम रक्षा स्तोत्र) – the Ram Raksha Stotra (राम रक्षा स्तोत्र) is a Sanskrit stotra, hymn of praise dedicated to Rama. This is used as a prayer for protection. Ram Raksha Stotra lyrics is said to be high powered, energetic and very powerful strota. The composer of the Ram Raksha Stotra was Budha Kaushika, which is said to be another name of Rishi Vishvamitra. Get Ram Raksha Stotra Lyrics in hindi PDF in this post and it would be helpful. Read below for the significance of Ram Raksha Stotra.
Significance of Ram Raksha Stotra
वैसे तो कहा जाता है कि गुरुवार विष्णु पूजा का विधान है, लेकिन इसके साथ ही श्री राम की भी पूजा का विधान है उस दिन. ऐसी मान्यता है कि गुरुवार को अगर पूरे मन से श्री राम की पूजा की जाए तो व्यक्ति की हर कामना सिद्ध होती है. श्री राम की पूजा में राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाता है. बड़े ही ध्यान से गुरुवार के दिन राम रक्षा स्तोत्र की पूजा करने पर मर्यादा पुरुषोत्म राम हर विपदा से आपकी रक्षा करेंगे. इसका पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है और जो इसका रोज़ाना पाठ करता है वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी और विनयसंपन्न होते हैं.
Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi
श्री राम रक्षा स्तोत्र(Shri Ram Raksha Stotra Lyrics) मूलतः संस्कृत में लिखा गया है. यह पूरा नीचा लिखा हुआ है.
विनियोगः
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप् छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान् कीलकम् । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ।
अथ ध्यानम्:
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् । वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम ।
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम् ॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।
स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥
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सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् ॥8॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न दृष्टुमति शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥16॥
तरुणौ रूप सम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥
शरण्यौ सर्र्र्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ॥20॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥
रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥
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वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥
रामं दूवार्दलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचंसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयलुर्नान्यं
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनन्दनम् ॥31॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥
कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ॥36॥
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रामेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥37॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥
॥ श्री बुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्ण ॥
Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi With Meaning (श्री रामरक्षा स्तोत्र का हिन्दी पाठ)
श्री रामरक्षा स्तोत्र (Shri Ram Raksha Stotra) मूलतः संस्कृत में लिखा गया है. बहुत से लोगों को इसे समझने में दिक्कत आ सकती है, इसलिए हमनें यहाँ श्री रामरक्षा स्तोत्र का हिंदी में अर्थ(Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi With Meaning) उपलब्ध करवाया है. यह अर्थ हमनें नहीं लिखा है, बल्कि हिंदी वेब दुनिया वेबसाइट से लिया गया है. यह उन्ही के द्वारा लिखा गया है.
श्री
राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमान जी कीलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के लिए राम रक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता हैं।
ध्यान धरें : जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं, बद्द पद्मासन की मुद्रा में विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दल के समान स्पर्धा करते हैं, जो बाएं ओर स्थित सीता जी के मुख कमल से मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम, विभिन्न अलंकारों से विभूषित तथा जटाधारी श्री राम का ध्यान करें।
श्री रघुनाथ जी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला हैं। उसका एक-एक अक्षर महापातकों को नष्ट करने वाला है।
नीले कमल के श्याम वर्ण वाले, कमलनेत्र वाले, जटाओं के मुकुट से सुशोभित, जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्री राम का स्मरण करके, जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक, हाथों में खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण किए राक्षसों के संहार तथा अपनी लीलाओं से जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्री राम का स्मरण करके, मैं सर्वकामप्रद और पापों को नष्ट करने वाले राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता हूं।
राघव मेरे सिर की और दशरथ के पुत्र मेरे ललाट की रक्षा करें, कौशल्या नंदन मेरे नेत्रों की, विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की, यज्ञरक्षक मेरे घ्राण की और सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें।
मेरी जिह्वा की विद्यानिधि रक्षा करें, कंठ की भरत-वंदित, कंधों की दिव्यायुध और भुजाओं की महादेव जी का धनुष तोड़ने वाले भगवान् श्री राम रक्षा करें। मेरे हाथों की सीता पति श्री राम रक्षा करें, हृदय की जमदग्नि ऋषि के पुत्र (परशुराम) को जीतने वाले, मध्य भाग की खर (नाम के राक्षस) के वधकर्ता और नाभि की जांबवान के आश्रयदाता रक्षा करें।
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मेरे कमर की सुग्रीव के स्वामी, हड्डियों की हनुमान के प्रभु और रानों की राक्षस कुल का विनाश करने वाले रघुश्रेष्ठ रक्षा करें।
मेरे जानुओं की सेतुकृत, जंघाओं की दशानन वधकर्ता, चरणों की विभीषण को ऐश्वर्य प्रदान करने वाले और संपूर्ण शरीर की श्री राम रक्षा करें।
शुभ कार्य करने वाला जो भक्त भक्ति एवं श्रद्धा के साथ रामबल से संयुक्त होकर इस स्तोत्र का पाठ करता हैं, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनयशील हो जाता हैं।
जो जीव पाताल, पृथ्वी और आकाश में विचरते रहते हैं अथवा छद्दम वेश में घूमते रहते हैं, वे राम नामों से सुरक्षित मनुष्य को देख भी नहीं पाते। राम, रामभद्र तथा रामचंद्र आदि नामों का स्मरण करने वाला रामभक्त पापों से लिप्त नहीं होता, इतना ही नहीं, वह अवश्य ही भोग और मोक्ष दोनों को प्राप्त करता है।
जो संसार पर विजय करने वाले मंत्र राम-नाम से सुरक्षित इस स्तोत्र को कंठस्थ कर लेता हैं, उसे संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं।
जो मनुष्य वज्रपंजर नामक इस राम कवच का स्मरण करता हैं, उसकी आज्ञा का कहीं भी उल्लंघन नहीं होता तथा उसे सदैव विजय और मंगल की ही प्राप्ति होती हैं।
भगवान् शंकर ने स्वप्न में इस रामरक्षा स्तोत्र का आदेश बुध कौशिक ऋषि को दिया था, उन्होंने प्रातःकाल जागने पर उसे वैसा ही लिख दिया।
जो कल्प वृक्षों के बगीचे के समान विश्राम देने वाले हैं, जो समस्त विपत्तियों को दूर करने वाले हैं (विराम माने थमा देना, किसको थमा देना/दूर कर देना ? सकलापदाम = सकल आपदा = सारी विपत्तियों को) और जो तीनो लोकों में सुंदर (अभिराम + स्+ त्रिलोकानाम) हैं, वही श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं।
जो युवा, सुंदर, सुकुमार, महाबली और कमल (पुण्डरीक) के समान विशाल नेत्रों वाले हैं, मुनियों की तरह वस्त्र एवं काले मृग का चर्म धारण करते हैं।
जो फल और कंद का आहार ग्रहण करते हैं, जो संयमी, तपस्वी एवं ब्रह्मचारी हैं, वे दशरथ के पुत्र राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें।
ऐसे महाबली- रघुश्रेष्ठ मर्यादा पुरुषोत्तम समस्त प्राणियों के शरणदाता, सभी धनुर्धारियों में श्रेष्ठ और राक्षसों के कुलों का समूल नाश करने में समर्थ हमारा त्राण करें।
संघान किए धनुष धारण किए, बाण का स्पर्श कर रहे, अक्षय बाणों से युक्त तुणीर लिए हुए राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए मेरे आगे चलें।
हमेशा तत्पर, कवचधारी, हाथ में खडग, धनुष-बाण तथा युवावस्था वाले भगवान् राम लक्ष्मण सहित आगे-आगे चलकर हमारी रक्षा करें।
भगवान् का कथन है की श्री राम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम, वेदान्त्वेद्य, यज्ञेश, पुराण पुरुषोत्तम, जानकी वल्लभ, श्रीमान और अप्रमेय पराक्रम आदि नामों का नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने वाले को निश्चित रूप से अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता हैं।
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दूर्वादल के समान श्याम वर्ण, कमल-नयन एवं पीतांबरधारी श्री राम की उपरोक्त दिव्य नामों से स्तुति करने वाला संसारचक्र में नहीं पड़ता।
लक्ष्मण जी के पूर्वज, सीता जी के पति, काकुत्स्थ, कुल-नंदन, करुणा के सागर, गुण-निधान, विप्र भक्त, परम धार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथ के पुत्र, श्याम और शांत मूर्ति, संपूर्ण लोकों में सुंदर, रघुकुल तिलक, राघव एवं रावण के शत्रु भगवान् राम की मैं वंदना करता हूं।
राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप, रघुनाथ, प्रभु एवं सीता जी के स्वामी की मैं वंदना करता हूं।
हे रघुनंदन श्री राम ! हे भरत के अग्रज भगवान् राम! हे रणधीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ! आप मुझे शरण दीजिए।
मैं एकाग्र मन से श्री रामचंद्र जी के चरणों का स्मरण और वाणी से गुणगान करता हूं, वाणी द्धारा और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान् रामचंद्र के चरणों को प्रणाम करता हुआ मैं उनके चरणों की शरण लेता हूं।
श्री राम मेरे माता, मेरे पिता, मेरे स्वामी और मेरे सखा हैं। इस प्रकार दयालु श्री राम मेरे सर्वस्व हैं। उनके सिवा में किसी दूसरे को नहीं जानता।
जिनके दाईं ओर लक्ष्मण जी, बाईं और जानकी जी और सामने हनुमान ही विराजमान हैं, मैं उन्ही रघुनाथ जी की वंदना करता हूं।
मैं संपूर्ण लोकों में सुंदर तथा रणक्रीड़ा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणा की मूर्ति और करुणा के भंडार की श्री राम की शरण में हूं।
जिनकी गति मन के समान और वेग वायु के समान (अत्यंत तेज) है, जो परम जितेंद्रिय एवं बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, मैं उन पवन-नंदन वानारग्रगण्य श्री राम दूत की शरण लेता हूं।
मैं कवितामयी डाली पर बैठकर, मधुर अक्षरों वाले ‘राम-राम’के मधुर नाम को कूजते हुए वाल्मीकि रुपी कोयल की वंदना करता हूं।
मैं इस संसार के प्रिय एवं सुंदर उन भगवान् राम को बार-बार नमन करता हूं, जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले तथा सुख-संपत्ति प्रदान करने वाले हैं।
‘राम-राम’का जप करने से मनुष्य के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। वह समस्त सुख-संपत्ति तथा ऐश्वर्य प्राप्त कर लेता हैं। राम-राम की गर्जना से यमदूत सदा भयभीत रहते हैं।
राजाओं में श्रेष्ठ श्री राम सदा विजय को प्राप्त करते हैं। मैं लक्ष्मीपति भगवान् श्री राम का भजन करता हूं। संपूर्ण राक्षस सेना का नाश करने वाले श्री राम को मैं नमस्कार करता हूं। श्री राम के समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं। मैं उन शरणागत वत्सल का दास हूं। मैं हमेशा श्री राम मैं ही लीन रहूं। हे श्री राम! आप मेरा (इस संसार सागर से) उद्धार करें।
(शिव पार्वती से बोले) हे सुमुखी ! राम-नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’के समान हैं। मैं सदा राम का स्तवन करता हूं और राम-नाम में ही रमण करता हूं।
Benefits of Ram Raksha Stotra ( श्री राम रक्षा स्तोत्र को पढ़ने के लाभ)
श्री राम रक्षा स्तोत्र एक बेहद महत्वपूर्ण और अहम् मन्त्र है. यह श्री राम के लिए पढ़ा जाता है और इस मन्त्र को पाठ करने से निम्न लाभ होते हैं.
- व्यक्ति की सभी विपत्तियाँ दूर होती हैं.
- राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि आती है.
- इंसान भयमुक्त हो जाता है.
- सभी शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.
Shri Ram Raksha Stotra Lyrics in English With Meaning
Read the Shri Ram Raksha Stotra lyrics in english with its meaning. The meaning is taken from this BhaktiMaal website.
Viniyogah
Asya Shree Raama Rakshaa Stotra Mantrasya Budhakaushika Rishih Shree Seetaa Raamachandro Devataa Anushtup Chhandah Seetaa Shaktih Shreemaan Hanumaan Keelakam Shree Raamachandra Preetyarthe Raama Rakshaa Stotra Jape Viniyogah ।
Meaning – The author of this hymn is Budhakaushika. The gods are Sita and Raamachandra. The metre ( poetic ) is Anushtupa. The power is Sita, central pivot is Hanuman and usage is to recite.
Dhyaanam
Dhyaayedaa Jaanubaahum Dhritashara Dhanusham Baddha Padmaasanastham
Peetam Vaaso Vasaanam Nava Kamaladala Spardhinetram Prasannam ।
Vaamaankaarudha Seetaa Mukhakamala Milallochanam Neeradaabham
Naanaalankaara Deeptam Dadhatamuru Jataamandalam Raamachandram ।
Meaning – One should meditate Raama who has arms reaching his knees, who is holding a bow and arrow, who is seated in a lotus position, who is wearing yellow clothes, whose eyes compete with petals of a fresh lotus, who looks satisfied, whose eyes are fixed on lotus-like ( pretty ) face of Sita sitting in his left lap, whose color is like that of rain cloud, who has adorned with different jewelery, who is wearing hair reaching upto his thighs.
Stotram
Charitam Raghunaathasya Shatakoti Pravistaram ।
Ekaikamaksharam Punsaam Mahaapaataka Naashanam ॥1॥
Meaning – The life story of Shri Raama has a vast expanse and each and every letter of it is capable of destroying even the greatest sins of mankind ॥1॥
Dhyaatvaa Neelotpala Shyaamam Raamam Raajeeva Lochanam ।
Jaanakee Lakshmanopetam Jataamukuta Manditam ॥2॥
Meaning – Let us meditate on the lotus-eyed, dark-complexioned Raama who is well adorned with a crown of hair and has Sita and Lakshmana alongside ॥2॥
Saasituna Dhanurbaana Paanim Naktam Charaantakam ।
Svaleelayaa Jagattraatumaa Virbhutamajam Vibhum ॥3॥
Meaning – Let us meditate Raama who holds sword, quiver, bow and arrows in his hand, who destroyed demons, who is not born but is incarnated to protect the world with his actions ॥3॥
Raamarakshaam Pathetpraagyah Paapaghneem Sarva Kaamadaam ।
Shiro Me Raaghavah Paatu Bhaalam Dasharathaatmajah ॥4॥
Meaning – May the learned read the Ram Raksha Stotra, which destroys all sins and grants all desires. ( Begin listing details of the body to be protected ) May Raama who is Raghu’s descendant protect my head. May Raama who is Dasharatha’s son protect my forehead ॥4॥
Kausalyeyo Drishau Paatu Vishvaamitra Priyah Shrutee ।
Ghraanam Paatu Makhatraataa Mukham Saumitri Vatsalah ॥5॥
Meaning – May the lord Raama who is Kausalyaa’s son, protect my eyes. Raama who is favorite of Vishvaamitra protect my ears. Raama who is savior of yagya protect my nose. Raama who is affectionate to Lakshmana protect my mouth ॥5॥
Jihvaam Vidyaanidhih Paatu Kantham Bharata Vanditah ।
Skandhau Divyaayudhah Paatu Bhujau Bhagnesha Kaarmukah ॥6॥
Meaning – May the Raama who is an ocean of knowledge protect my tongue. May Raama who is saluted by Bharat protect my neck. May Raama who holds divine weapons protect my two shoulders. May Raama who broke Shiva’s bow protect my two upper arms ॥6॥
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Karau Seetaapatih Paatu Hridayam Jaamadagnyajit ।
Madhyam Paatu Kharadhvansee Naabhim Jaambavadaashrayah ॥7॥
Meaning – May the Raama who is the husband of Sita protect my two hands. May Raama who conquered Parashuraama protect my heart. May Raama who killed a demon named Khara protect my abdomen. May Raama who gave refuge to Jaambavaana protect my navel ॥7॥
Sugreeveshah Katee Paatu Sakthinee Hanumatprabhuh ।
Uru Raghuttamah Paatu Rakshah Kulavinaasha Krit ॥8॥
Meaning – May Raama who is master of Sugreeva protect my waist. May Raama who is master of Hanuman protect my two hips. May Raama who is the best of Raghus and who destroyed the lineage of demons protect my two thighs ॥8॥
Jaanunee Setukritpaatu Janghe Dashamukhaantakah ।
Paadau Vibheeshana Shreedah Paatu Raamoakhilam Vapuh ॥9॥
Meaning – May Raama who built the bridge protect my two knees. May Raama who killed ten faced Raavana protect my two shins. May Raama who gave the wealth to Bibhishana protect my two feet. Thus may he protect my entire body ॥9॥
Etaam Raamabalo Petaam Rakshaam Yah Sukritee Pathet ।
Sa Chiraayuh Sukhee Putree Vijayee Vinayee Bhavet ॥10॥
Meaning – May the good man who read this Stotra, which has all the power of Raama, be blessed with long life, happiness, children, success and humility ॥10॥
Paataala Bhutalavyoma Chaarinashchhadma Chaarinah ।
Na Drashtumapi Shaktaaste Rakshitam Raama Naamabhih ॥11॥
Meaning – No one, who is wandering below the earth or on the earth or above the earth or those who wander surreptitiously changing their forms, will even be able to see the man protected by Raama-naama ( Name of Raama ) ॥11॥
Raameti Raamabhadreti Raamachandreti Vaa Smaran ।
Naro Na Lipyate Paapairbhuktim Muktim Cha Vindati ॥12॥
Meaning – No sin can attach to the man who sing the praise of the lord and he will prosper in this world and get salvation ॥12॥
Jagajjaitraika Mantrena Raama Naamnaabhi Rakshitam ।
Yah Kanthe Dhaarayettasya Karasthaah Sarva Siddhayah ॥13॥
Meaning – One who wears this mantra of Raama-naama ( that has conquered the world ) around his neck will have all the powers at his beck and call ॥13॥
Vajrapanjara Naamedam Yo Raama Kavacham Smaret ।
Avyaahataagyah Sarvatra Labhate Jayamangalam ॥14॥
Meaning – One who wears this armour also called as Vajrapanjara will be unscathed and will win victory everywhere ॥14॥
Aadishta Vaanyathaa Svapne Raama Rakshaa Mimaam Harah ।
Tathaa Likhita Vaanpraatah Prabuddho Budhakaushikah ॥15॥
Meaning – Budhakaushika was commanded in his dream by Lord Shiva to compose this hymn and he did so, as soon as he awoke in the morning ॥15॥
Aaraamah Kalpa Vrikshaanaam Viraamah Sakalaa Padaam ।
Abhiraamastri Lokaanaam Raamah Shreemaansa Nah Prabhuh ॥16॥
Meaning – Raama, who grants all desires, removes all obstacles and is the laudable for all the three worlds, is our Lord indeed ॥16॥
Tarunau Rupa Sampannau Sukumaarau Mahaabalau ।
Pundareeka Vishaalaakshau Cheera Krishnaa Jinaambarau ॥17॥
Meaning – May the two brothers ever protect us, who are young, handsome, lotus-eyed and deer-skin dressed ॥17॥
Phalamulaashinau Daantau Taapasau Brahmachaarinau ।
Putrau Dasharatha Syaitau Bhraatarau Raama Lakshmanau ॥18॥
Meaning – These two sons of Dasharatha, the brothers Raama and Lakshmana, the ones who are subsisting on roots and fruits and practicing penance and celibacy ॥18॥
Sharanyau Sarva Sattvaanaam Shreshthau Sarva Dhanushmataam ।
Rakshah Kula Nihantaarau Traayetaam No Raghuttamau ॥19॥
Meaning – These two scions of Raghu protect us, the foremost among the archers, the destroyers of the demons and the refuge of all beings, may they protect us ॥19॥
Aattasajja Dhanushaa Vishusprishaa
Vakshayaa Shuganishanga Sanginau ।
Rakshanaaya Mama Raama Lakshmanaa
Vagratah Pathi Sadaiva Gachchhataam ॥20॥
Meaning – Raama and Lakshmana, their bows pulled and ready, their hands on the arrows, they carry quivers ever full of arrows on their backs, may they always escort me in my path, for my protection ॥20॥
Sannaddhah Kavachee Khadgee Chaapa Baanadharo Yuvaa ।
Gachchhan Manorathaannashcha Raamah Paatu Salakshmanah ॥21॥
Meaning – Ever prepared and armed with sword, shield, bow and arrows and who is youthful. May he ( along with Lakshmana ) protect our desires ॥21॥
Raamo Daasharathih Shuro Lakshmanaa Nucharo Balee ।
Kaakutsthah Purushah Purnah Kausalyeyo Raghuttamah ॥22॥
Meaning – Raama, the scion of Raghu and the son of Dasharatha and Kausalyaa and ever accompanied by Lakshmana, is powerful and is the perfect man ॥22॥
Vedaanta Vedyo Yagyeshah Puraana Purushottamah ।
Jaanakee Vallabhah Shreemaana Prameya Paraakramah ॥23॥
Meaning – The Raama, who is perceived through Vedaanta, who is lord of all Yagya, is ancient and the best man, who is beloved of Jaanakee and whose bravery is unmeasurable ॥23॥
Ityetaani Japannityam Madbhaktah Shraddhayaanvitah ।
Ashvamedhaa Dhikam Punyam Sampraapnoti Na Sanshayah ॥24॥
Meaning – My devotee (says Lord Shiva), who recites these names of Raama with faith, will attain more religious merit than one obtainable by Ashvamedha Yagya. There is no doubt about it ॥24॥
Raamam Durvaadala Shyaamam Padmaaksham Peeta Vaasasam ।
Stuvanti Naama Bhirdivyairna Te Sansaarino Naraah ॥25॥
Meaning – Those who sing the praise of Raama ( who is lotus-eyed, dark complexioned and dressed in yellow clothes ) through this hymn, are no longer ordinary men trapped in the world ( they get liberated ) ॥25॥
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Raamam Lakshmana Purvajam Raghuvaram Seetaapatim Sundaram
Kaakutstham Karunaarnavam Gunanidhim Viprapriyam Dhaarmikam ।
Raajendram Satyasandham Dasharatha Tanayam Shyaamalam Shaanta Murtim
Vande Lokaabhiraamam Raghukula Tilakam Raaghavam Raavanaarim ॥26॥
Meaning – I salute that Raama who is handsome, the elder brother of Lakshmana, the husband of Sita and the best of the scions of the Raghu race, him who is the ocean of compassion, the stockpile of virtues, the beloved of the Brahmins and the protector of Dharma, him who is the practiser of the truth, the lord emperor of kings, the son of Dasharatha, dark complexioned and the personification of peace and tranquility, him who is the enemy of Raavana, the crown jewel of the Raghu dynasty and the cynosure of all eyes ॥26॥
Raamaaya Raamabhadraaya Raamachandraaya Vedhase ।
Raghunaathaaya Naathaaya Seetaayaah Pataye Namah ॥27॥
Meaning – I salute that Raama who is benevolent and cool as moon and who is the lord of Sita and the master guardian of all ॥27॥
Shree Raama Raama Raghunandana Raama Raama
Shree Raama Raama Bharataagraja Raama Raama ।
Shree Raama Raama Ranakarkasha Raama Raama
Shree Raama Raama Sharanam Bhava Raama Raama ॥28॥
Meaning – I surrender to that Raama who is the delight of the Raghus, elder brother of Bharata and the tormentor of his enemies in the war ॥28॥
Shree Raama Chandra Charanau Manasaa Smaraami
Shree Raama Chandra Charanau Vachasaa Grinaami ।
Shree Raama Chandra Charanau Shirasaa Namaami
Shree Raama Chandra Charanau Sharanam Prapadye ॥29॥
Meaning – The two feet of Raama, I remember them in my mind, I praise them by my speech, I bow to them by my head, I take resort in them ॥29॥
Maataa Raamo Matpitaa Raama Chandrah
Svaamee Raamo Matsakhaa Raama Chandrah ।
Sarvasvam Me Raama Chandro Dayaalurnaanyam
Jaane Naiva Jaane Na Jaane ॥30॥
Meaning – Raama is like my mother, father, master and friend, indeed the kind-hearted Raama is all I have, I know of no other like him, I really don’t ॥30॥
Dakshine Lakshmano Yasya Vaame Cha Janakaatmajaa ।
Purato Maarutiryasya Tam Vande Raghunandanam ॥31॥
Meaning – I salute that Raama who has Lakshmana on his right and Sita on the left and who has Hanuman in his front ॥31॥
Lokaabhiraamam Rana Rangadheeram
Raajeeva Netram Raghuvansha Naatham ।
Kaarunya Rupam Karunaakaram Tam
Shree Raama Chandram Sharanam Prapadye ॥32॥
Meaning – I take refuge in that Raama who is quite pleasing to the sight, the master of the stage of war, lotus-eyed, lord of the Raghu race and compassion personified ॥32॥
Manojavam Maaruta Tulyavegam
Jitendriyam Buddhimataam Varishtham ।
Vaataatmajam Vaanara Yutha Mukhyam
Shree Raama Dutam Sharanam Prapadye ॥33॥
Meaning – I take refuge in the lord Hanuman who is as fast as the mind, equals in speed as his father Pavanadeva ( the presiding deity of wind ) , is the master of the senses, the foremost among the learned, the leader of the monkey forces and the great messenger of Shri Raama ॥33॥
Kujantam Raama Raameti Madhuram Madhuraaksharam ।
Aaruhya Kavitaa Shaakhaam Vande Vaalmeeki Kokilam ॥34॥
Meaning – I salute the great sage Valmiki who sings the glorious name of Raama resorting to his Ramayana as sweetly as a cuckoo will sing sitting on a tree ॥34॥
Aapadaama Pahartaaram Daataaram Sarva Sampadaam ।
Lokaabhiraamam Shree Raamam Bhuyo Bhuyo Namaamyaham ॥35॥
Meaning – I bow again and again to Raama who removes all obstacles and grants all wealth and pleases all ॥35॥
Bharjanam Bhava Beejaanaa Marjanam Sukha Sampadaam ।
Tarjanam Yamadutaanaam Raama Raameti Garjanam ॥36॥
Meaning – The roar of the Raama-Naama is the destruction of the cause of rebirth ( hence cause of liberation ), the earning of all wealth and a scare to Yama’s messengers ॥36॥
Raamo Raajamanih Sadaa Vijayate Raamam Ramesham Bhaje
Raamenaa Bhihataa Nishaachara Chamu Raamaaya Tasmai Namah ।
Raamaannaasti Paraayanam Parataram Raamasya Daasoasmyaham
Raame Chittalayah Sadaa Bhavatu Me Bho Raama Maamuddhara ॥37॥
Meaning – Shri Raama, the best among kings, always gets victory. I worship the husband of Goddess Lakshmi, Lord Raama. I bow to Raamachandra ji who destroyed the entire army of demons. There is no shelter greater than Raama. I am the servant of that Raamachandra ji. May my mind always be absorbed in Raama. Oh Raama ! You save me ॥37॥
Raama Raameti Raameti Rame Raame Manorame ।
Sahasranaama Tattulyam Raama Naama Varaanane ॥38॥
Meaning – ( Lord Shiva says to Goddess Paarvati – ) O fair-faced ! Raamanaama is equivalent to Vishnu Sahasranaama. I always take pleasure saying ‘Raama, Raama, Raama’ ॥38॥
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