Kaise Chhupa-un Raaz-e-Gham(कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म ) is a ghazal by Hasrat Mohani. The ghazal has been sung beautifully by Mehdi Hassan. He has also composed the song.
Song Name – Kaise Chhupa-un Raaz-e-Gham
Singer – Mehdi Hassan
Lyrics – Hasrat Mohani
Music Composer – Mehdi Hassan
Music Label – Sony Music Entertainment India Pvt. Ltd.
Kaise Chhupa-un Raaz-e-Gham
कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ
दिल की तपिश को क्या करूँ सोज़-ए-जिगर को क्या करूँ
शोरिश-ए-आशिक़ी कहाँ और मेरी सादगी कहाँ
हुस्न को तेरे क्या कहूँ अपनी नज़र को क्या करूँ
ग़म का न दिल में हो गुज़र वस्ल की शब हो यूँ बसर
सब ये क़ुबूल है मगर ख़ौफ़-ए-सहर को क्या करूँ
हाल मेरा था जब बतर तब न हुई तुम्हें ख़बर
ब’अद मेरे हुआ असर अब मैं असर को क्या करूँ
जॉन एलिया अपने अपारम्परिक अंदाज़ के लिए मशहूर शायर थे. वे युवाओं में शायद इसलिए बेहद मशहूर हैं कि वो उनके मन की बातें बड़े आसानी से कह देते हैं. आज देखते हैं उनकी दो ग़ज़लें –
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या(Umr Guzregi Imtehan Mein Kya?)
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है ख़ानदान में क्या
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से
आ गया था मिरे गुमान में क्या
शाम ही से दुकान-ए-दीद है बंद
नहीं नुक़सान तक दुकान में क्या
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़
तू नहाती है अब भी बान में क्या
बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या
ख़ामुशी कह रही है कान में क्या
आ रहा है मिरे गुमान में क्या
दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुत
ख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या
वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूद
ख़ाक उड़ती है उस मकान में क्या
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
एक ही मुज़्दा सुब्ह लाती है
एक ही मुज़्दा सुब्ह लाती है
धूप आँगन में फैल जाती है
रंग-ए-मौसम है और बाद-ए-सबा
शहर कूचों में ख़ाक उड़ाती है
फ़र्श पर काग़ज़ उड़ते फिरते हैं
मेज़ पर गर्द जमती जाती है
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
मैं भी इज़्न-ए-नवा-गरी चाहूँ
बे-दिली भी तो लब हिलाती है
सो गए पेड़ जाग उठी ख़ुश्बू
ज़िंदगी ख़्वाब क्यूँ दिखाती है
उस सरापा वफ़ा की फ़ुर्क़त में
ख़्वाहिश-ए-ग़ैर क्यूँ सताती है
आप अपने से हम-सुख़न रहना
हम-नशीं साँस फूल जाती है
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
Thodisi Bewafaii Lyrics: Presenting the all song lyrics for the movie Thodisi Bewafai. This movie is a a 1980 Hindi movie that was written and directed by Esmayeel Shroff. The film stars Rajesh Khanna, Shabana Azmi and Padmini Kohlapure. The music is by Khayyam and the lyrics for all the song has been penned by Gulzar.
All the songs were very popular, especially the song Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin is huegly popular till now.
Director:
Esmayeel Shroff
Music:
Khayyam
Lyrics:
Gulzar
Singers:
Kishore Kumar, Bhupinder Singh, Lata Mangeshkar, Aasha Bhosle
Hazaar Rahen Mud Ke Dekhi Lyrics
Song: Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin
Artist: Lata Mangeshkar, Kishore Kumar
Music Directr Khayyam
Lyricist: Gulzar
हज़ार राहें, मुड़ के देखीं
कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफ़ा से, निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
जहाँ से तुम मोड़ मुड़ गये थे
ये मोड़ अब भी वहीं पड़े हैं
हम अपने पैरों में जाने कितने
भँवर लपेटे हुए खड़े हैं
बड़ी वफ़ा से…
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता
हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रातें हमने गुज़ारी मर के
वो रात तुमने गुज़ारी होती
बड़ी वफ़ा से…
तुम्हें ये ज़िद थी के हम बुलाते
हमें ये उम्मीद वो पुकारें
है नाम होठों पे अब भी लेकिन
आवाज़ में पड़ गई दरारें
हज़ार राहें मुड़ के…
Aaj Bichhde Hain Lyrics
Song: Aaj Bichhde Hain
Artist: Bhupinder Singh
Music Directr Khayyam
Lyricist: Gulzar
आज बिछड़े हैं, कल का डर भी नहीं
ज़िन्दगी इतनी मुख्तसर भी नहीं
आज बिछड़े हैं…
ज़ख्म दिखते नहीं अभी लेकिन
ठंडे होंगे तो दर्द निकलेगा
तैश उतरेगा वक्त का जब भी
चेहरा अन्दर से ज़र्द निकलेगा
आज बिछड़े हैं…
कहने वालों का कुछ नहीं जाता
सहने वाले कमाल करते हैं
कौन ढूँढे जवाब दर्दों के
लोग तो बस सवाल करते हैं
आज बिछड़े हैं…
कल जो आयेगा जाने क्या होगा
बीत जाए जो कल नहीं आते
वक़्त की शाख तोड़ने वालों
टूटी शाखों पे फल नहीं आते
आज बिछड़े हैं…
कच्ची मिट्टी है दिल भी, इंसां भी
देखने ही में सख़्त लगता है
आँसू पोंछे तो आँसुओं के निशाँ
खुश्क होने में वक़्त लगता है
आज बिछड़े हैं…
Ankhon Men Humne Aapke Sapne Lyrics
Song: Ankhon Men Humne Aapke Sapne
Artist: Lata Mangeshkar, Kishore Kumar
Music Directr Khayyam
Lyricist: Gulzar
आँखों में हमने आप के सपने सजाए हैं
पलकें उठा के आपने जादू जगाए हैं
सपना भी आप ही हैं, हक़ीक़त भी आप हैं
बस आप, आप, आप ही मुझमें समाए हैं
आँखों में हमने…
आँखों का रंग ढूँढा है हीरे तराश कर
दिल में सजाएँगे ये रंग यूँ ही उम्र भर
मुश्किल से ज़िंदगी के रंग हाथ आए हैं
आँखों में हमने आपके…
दोहराए जाएँगे ना ये लम्हात अब कभी
सपनों में भी ना छूटेगा ये साथ अब कभी
मिलती है ज़िंदगी जब आप मुस्कुराए हैं
ये दिल कुछ ऐसे आप के सजदे में झुक गया
नज़रें उठाईं आपने तो वक़्त रुक गया
ठहरे हुए पलों में, ज़माने बिताए हैं
आँखों में हमने आपके…
Presenting this beautiful Ghazal Wo Jo Hummen Tummen Qaraar Tha which was written by Momin Khan Momin and here it is sung by the legend herself, Begum Akhtar.
Song :- Woh Jo Ham Men Tum Men Qarar Tha
Singer :- Begum Akhtar
Music Director :- Khaiyyaam
Lyricist :- Momin
Label :: Saregama India Ltd
वो जो हम में तुम में क़रार था – मोमिन खां मोमिन
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही या’नी वा’दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर वो करम कि था मिरे हाल पर
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो
वो नए गिले वो शिकायतें वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो कि न याद हो
कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगू
वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो
हुए इत्तिफ़ाक़ से गर बहम तो वफ़ा जताने को दम-ब-दम
गिला-ए-मलामत-ए-अक़रिबा तुम्हें याद हो कि न याद हो
कोई बात ऐसी अगर हुई कि तुम्हारे जी को बुरी लगी
तो बयाँ से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो कि न याद हो
कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो
सुनो ज़िक्र है कई साल का कि किया इक आप ने वा’दा था
सो निबाहने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो कि न याद हो
कहा मैं ने बात वो कोठे की मिरे दिल से साफ़ उतर गई
तो कहा कि जाने मिरी बला तुम्हें याद हो कि न याद हो
वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का
वो नहीं नहीं की हर आन अदा तुम्हें याद हो कि न याद हो
जिसे आप गिनते थे आश्ना जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा
मैं वही हूँ ‘मोमिन’-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो कि न याद हो
Patta Patta Boota Boota Lyrics – Listen to one of the Melodious Romantic Ghazal Patta Patta Boota Boota written by Meer Taqi Meer and which is sung by Ghulam Ali from the Album Shaam E Ghazal.
Song :- Patta Patta Boota Boota
Artist :- Ghulam Ali
Music Director :- Ghulam Ali
Lyricist :- Meer Taqi Meer
Mood :- Sadness
Patta Patta Boota Boota Lyrics
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक
उस को फ़लक चश्म-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है
आगे उस मुतकब्बिर के हम ख़ुदा ख़ुदा किया करते हैं
कब मौजूद ख़ुदा को वो मग़रूर-ए-ख़ुद-आरा जाने है
आशिक़ सा तो सादा कोई और न होगा दुनिया में
जी के ज़ियाँ को इश्क़ में उस के अपना वारा जाने है
चारागरी बीमारी-ए-दिल की रस्म-ए-शहर-ए-हुस्न नहीं
वर्ना दिलबर-ए-नादाँ भी इस दर्द का चारा जाने है
क्या ही शिकार-फ़रेबी पर मग़रूर है वो सय्याद बचा
ताइर उड़ते हवा में सारे अपने असारा जाने है
मेहर ओ वफ़ा ओ लुत्फ़-ओ-इनायत एक से वाक़िफ़ इन में नहीं
और तो सब कुछ तंज़ ओ किनाया रम्ज़ ओ इशारा जाने है
क्या क्या फ़ित्ने सर पर उस के लाता है माशूक़ अपना
जिस बे-दिल बे-ताब-ओ-तवाँ को इश्क़ का मारा जाने है
रख़नों से दीवार-ए-चमन के मुँह को ले है छुपा यानी
इन सुराख़ों के टुक रहने को सौ का नज़ारा जाने है
तिश्ना-ए-ख़ूँ है अपना कितना ‘मीर’ भी नादाँ तल्ख़ी-कश
दुम-दार आब-ए-तेग़ को उस के आब-ए-गवारा जाने है
Patta Patta Boota Boota Lyrics in English
Patta patta, buta buta, haal hamaara jaane hai
Jaane n jaane gul hi n jaane, baag to saara jaane hai
Koi kisi ko chaahe, to kyon gunaah samajhate hai log
Koi kisi ki khaatir tadape agar to hnsate hain log
Begaana alam hai saara, yahaan to koi hamaara
Dard nahin pahachaane hain
Chaahat ke gul khilenge, chalati rahen hajaar andhiyaan
Ham to isi chaman men baandhege pyaar ka ashiyaan
Ye duniya bijali giraae, ye duniya kaanten bichhaae
Ishk magar kab maane hai
Dikhalaaenge jahaan ko, kuchh din jo jindagaani hai aur
Kaise na ham milenge, hamane bhi dil men thhaani hai aur
Abhi matawaale dilon ki, mohabbat waale dilon ki
Baat koi kya jaane hai
Ulti Ho Gayi Sab Tadbiren Lyrics – Presenting this beautiful Ghazal Ulti Ho Gayi Sab Tadbiren which was written by Meer Taqi Meer and here it is sung by the legend herself, Begum Akhtar.
Song :- Ulti Ho Gayi Sab Tadbiren
Singer :- Begum Akhtar
Music Director :- Khaiyyaam
Lyricist :- Meer Taqi Meer
Mood :- Melancholy
Ulti Ho Gayi Sab Tadbiren – Begum Akhtar, Meer Taqi Meer
उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया
अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद
या’नी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया
हर्फ़ नहीं जाँ-बख़्शी में उस की ख़ूबी अपनी क़िस्मत की
हम से जो पहले कह भेजा सो मरने का पैग़ाम किया
नाहक़ हम मजबूरों पर ये तोहमत है मुख़्तारी की
चाहते हैं सो आप करें हैं हम को अबस बदनाम किया
सारे रिंद औबाश जहाँ के तुझ से सुजूद में रहते हैं
बाँके टेढ़े तिरछे तीखे सब का तुझ को इमाम किया
सरज़द हम से बे-अदबी तो वहशत में भी कम ही हुई
कोसों उस की ओर गए पर सज्दा हर हर गाम किया
किस का काबा कैसा क़िबला कौन हरम है क्या एहराम
कूचे के उस के बाशिंदों ने सब को यहीं से सलाम किया
शैख़ जो है मस्जिद में नंगा रात को था मय-ख़ाने में
जुब्बा ख़िर्क़ा कुर्ता टोपी मस्ती में इनआ’म किया
काश अब बुर्क़ा मुँह से उठा दे वर्ना फिर क्या हासिल है
आँख मुँदे पर उन ने गो दीदार को अपने आम किया
याँ के सपीद ओ सियह में हम को दख़्ल जो है सो इतना है
रात को रो रो सुब्ह किया या दिन को जूँ तूँ शाम किया
सुब्ह चमन में उस को कहीं तकलीफ़-ए-हवा ले आई थी
रुख़ से गुल को मोल लिया क़ामत से सर्व ग़ुलाम किया
साअद-ए-सीमीं दोनों उस के हाथ में ला कर छोड़ दिए
भूले उस के क़ौल-ओ-क़सम पर हाए ख़याल-ए-ख़ाम किया
काम हुए हैं सारे ज़ाएअ’ हर साअ’त की समाजत से
इस्तिग़्ना की चौगुनी उन ने जूँ जूँ मैं इबराम किया
ऐसे आहु-ए-रम-ख़ुर्दा की वहशत खोनी मुश्किल थी
सेहर किया ए’जाज़ किया जिन लोगों ने तुझ को राम किया
‘मीर’ के दीन-ओ-मज़हब को अब पूछते क्या हो उन ने तो
क़श्क़ा खींचा दैर में बैठा कब का तर्क इस्लाम किया
Presenting the Ghazal Itni Muddat Baad Mile Ho by Moshin Naqvi which is beautifully sung by Dilraj Kaur. The Ghazal maestro Ghulam Ali has composed the music for this one.
Song :- Itni Muddat Baad Mile Ho
Singer :- Dilraj Kaur
Music Director :- Ghulam Ali
Lyricist :- Moshin Naqvi
Itni Muddat Baad Mile Ho – Moshin Naqvi
इतनी मुद्दत बा’द मिले हो
किन सोचों में गुम फिरते हो
इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो
हर आहट से डर जाते हो
तेज़ हवा ने मुझ से पूछा
रेत पे क्या लिखते रहते हो
काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो
में दरिया से भी डरता हूँ
तुम दरिया से भी गहरे हो
कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यूँ लगते हो
पीछे मुड़ कर क्यूँ देखा था
पत्थर बन कर क्या तकते हो
जाओ जीत का जश्न मनाओ
में झूटा हूँ तुम सच्चे हो
अपने शहर के सब लोगों से
मेरी ख़ातिर क्यूँ उलझे हो
कहने को रहते हो दिल में
फिर भी कितने दूर खड़े हो
रात हमें कुछ याद नहीं था
रात बहुत ही याद आए हो
हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो
‘मोहसिन’ तुम बदनाम बहुत हो
पढ़िये सुमित्रानंदन पंत की दो कवितायेँ – संस्कृति का प्रश्न और सांस्कृतिक हृदय, जो हमारे आज के समय के लिए भी अनुकूल हैं.
संस्कृति का प्रश्न / सुमित्रानंदन पंत
राजनीति का प्रश्न नहीं रे आज जगत के सन्मुख,
अर्थ साम्य भी मिटा न सकता मानव जीवन के दुख।
व्यर्थ सकल इतिहासों, विज्ञानों का सागर मंथन,
वहाँ नहीं युग लक्ष्मी, जीवन सुधा, इंदु जन मोहन!
आज वृहत सांस्कृतिक समस्या जग के निकट उपस्थित,
खंड मनुजता को युग युग की होना है नव निर्मित,
विविध जाति, वर्गों, धर्मों को होना सहज समन्वित,
मध्य युगों की नैतिकता को मानवता में विकसित।
जग जीवन के अंतर्मुख नियमों से स्वयं प्रवर्तित
मानव का अवचेतन मन हो गया आज परिवर्तित।
वाह्य चेतनाओं में उसके क्षोभ, क्रांति, उत्पीड़न,
विगत सभ्यता दंत शून्य फणि सी करती युग नर्तन!
व्यर्थ आज राष्ट्रों का विग्रह, औ’ तोपों का गर्जन,
रोक न सकते जीवन की गति शत विनाश आयोजन।
नव प्रकाश में तमस युगों का होगा स्वयं निमज्जित,
प्रतिक्रियाएँ विगत गुणों की होंगी शनैः पराजित!
सांस्कृतिक हृदय / सुमित्रानंदन पंत
कृषि युग से वाहित मानव का सांस्कृतिक हृदय
जो गत समाज की रीति नीतियों का समुदय,
आचार विचारों में जो बहु देता परिचय,
उपजाता मन में सुख दुख, आशा, भय, संशय,
जो भले बुरे का ज्ञान हमें देता निश्चित
सामंत जगत में हुआ मनुज के वह निर्मित।
उन युग स्थितियों का आज दृश्य पट परिवर्तित,
प्रस्तर युग की सभ्यता हो रही अब अवसित।
जो अंतर जग था वाह्य जगत पर अवलंबित
वह बदल रहा युगपत युग स्थितियों से प्रेरित।
बहु जाति धर्म औ’ नीति कर्म में पा विकास
गत सगुण आज लय होने को: औ’ नव प्रकाश
नव स्थितियों के सर्जन से हो अब शनैः उदय
बन रहा मनुज की नव आत्मा, सांस्कृतिक हृदय।
Chhoti Si Baat is a 1976 Hindi romantic comedy film which was directed by Basu Chatterjee. The movie starcast includes Vidya Sinha, Amol Palekar, Ashok Kumar and Asrani. The music of this movie was composed by Salil Choudhary while the lyrics were penned by Yogesh.
Song: Jaaneman Jaaneman Tere Do Nain
Artist: K.J. Yesudas, Asha Bhosle
Music Director: Salil Chowdhury
Lyricist: Yogesh
जानेमन-जानेमन तेरे दो नयन
चोरी-चोरी ले के गए देखो मेरा मन
जानेमन-जानेमन-जानेमन
मेरे दो नयन चोर नहीं सजन
तुम से ही खोया होगा कहीं तुम्हारा मन
जानेमन-जानेमन-जानेमन
तोड़ दे दिलों की दूरी, ऐसी क्या है मजबूरी
दिल, दिल से मिलने दे
अभी तो हुई है यारी, अभी से ये बेकरारी
दिन तो ज़रा ढ़लने दे
यही सुनते, समझते, गुज़र गए जाने कितने ही सावन
जानेमन-जानेमन तेरे…
संग-संग चले मेरे, मारे आगे-पीछे फेरे
समझूँ मैं तेरे इरादे
दोष तेरा है ये तो, हर दिन जब देखो
करती हो झूठे वादे
तू न जाने दीवाने, दिखाऊँ कैसे तुझे मैं ये दिल की लगन
जानेमन-जानेमन तेरे…
छेड़ेंगे कभी न तुम्हें, ज़रा बतला दो हमें
कब तक हम तरसेंगे
ऐसे घबराओ नहीं, कभी तो कहीं ना कहीं
बादल ये बरसेंगे
क्या करेंगे, बरस के, कि जब मुरझाएगा ये सारा चमन
जानेमन-जानेमन तेरे…
Ye Din Kya Aaye Lyrics
ये दिन क्या आये
लगे फूल हँसने
देखो बसंती-बसंती
होने लगे मेरे सपने
ये दिन क्या आये…
सोने जैसी हो रही है, हर सुबह मेरी
लगे हर सांझ अब, गुलाल से भरी
चलने लगी महकी हुई
पवन मगन झूम के
आँचल तेरा चूम के
ये दिन क्या आए…
वहाँ मन बावरा, आज उड़ चला
जहाँ पर है गगन, सलोना साँवला
जा के वहीँ रख दे कहीं
मन रंगों में खोल के
सपने ये अनमोल से
ये दिन क्या आए…
Na Jaane Kyun Hota Hai Lyrics
न जाने क्यों, होता है ये ज़िन्दगी के साथ
अचानक ये मन, किसी के जाने के बाद
करे फिर उसकी याद, छोटी-छोटी सी बात
न जाने क्यूँ…
जो अनजान पल, ढल गए कल
आज वो, रंग बदल-बदल
मन को मचल-मचल, रहे हैं छल
ना जाने क्यों, वो अन्जान पल
सजे भी ना मेरे, नैनों में
टूटे रे, हाय रे, सपनों के महल
ना जाने क्यूँ…
वो ही है डगर, वो ही है सफ़र
है नहीं, साथ मेरे मगर
अब मेरा हमसफ़र
इधर-उधर ढूंढें नज़र, वो ही है डगर
कहाँ गयी शामें, मदभरी
वो मेरे, मेरे वो दिन गए किधर
ना जाने क्यों…