मोमिन ख़ाँ मोमिन एक मशहूर उर्दू कवि थे। ये हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालिब ने इनके शेर ‘तुम मेरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नही होता’ पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी।
मोमिन ख़ाँ की ज़िंदगी और शायरी पर दो चीज़ों ने बहुत गहरा असर डाला। एक इनकी रंगीन मिज़ाजी और दूसरी इनकी धार्मिकता। लेकिन इनकी ज़िंदगी का सबसे दिलचस्प हिस्सा इनके प्रेम प्रसंगों से ही है। मुहब्बत ज़िंदगी का तक़ाज़ा बन कर बार-बार इनके दिलोदिमाग़ पर छाती रही। इनकी शायरी पढ़ कर महसूस होता है कि शायर किसी ख़्याली नहीं बल्कि एक जीती-जागती महबूबा के इश्क़ में गिरफ़्तार है।
(Source: As read on Wikipedia)
Momin Khan Momin Shayari
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- मार ही डाल मुझे चश्म-ए-अदा से पहले – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- उलझे न ज़ुल्फ़ से जो परेशानियों में हम – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- हम समझते हैं आज़माने को – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- मुझे चुप लगी मुद्दआ कहते-कहते – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- उल्टे वो शिकवे करते हैं और किस अदा के साथ – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- दफ़्न जब ख़ाक में हम सोख़्ता-सामाँ होंगे – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- आँखों से हया टपके है अंदाज़ तो देखो – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम – मोमिन ख़ाँ मोमिन
- वो जो हम में तुम में क़रार था – मोमिन खां मोमिन
Momin Khan Momin Chuninda Sher Shayari
- दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
देर तलक वो मुझे देखा किया
तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होताचारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं
सो तुम्हारे सिवा नहीं होतासोज़-ए-ग़म से अश्क का एक एक क़तरा जल गया
आग पानी में लगी ऐसी कि दरिया जल गयातू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले
हम तो कल ख़्वाब-ए-अदम में शब-ए-हिज्राँ होंगेसाहब ने इस ग़ुलाम को आज़ाद कर दिया
लो बंदगी कि छूट गए बंदगी से हमन मानूँगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता थाबे-ख़ुद थे ग़श थे महव थे दुनिया का ग़म न था
जीना विसाल में भी तो हिज्राँ से कम न थाक्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
क़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब मेंडरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहींहै कुछ तो बात ‘मोमिन’ जो छा गई ख़मोशी
किस बुत को दे दिया दिल क्यूँ बुत से बन गए होमाँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की
आख़िर तो दुश्मनी है असर को दुआ के साथतुम हमारे किसी तरह न हुए
वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता