भटका भटका फिरता हूँ – फ़रहत शहज़ाद

पढ़िए मशहूर शायर फरहत शहजाद की लिखी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल जिसका शीर्षक है – भटका भटका फिरता हूँ

Farhat Shahzad

भटका भटका फिरता हूँ – फ़रहत शहज़ाद

भटका भटका फिरता हूँ
गोया सूखा पत्ता हूँ

साथ जमाना है लेकिन
तनहा तनहा रहता हूँ

धड्कन धड़कन ज़ख़्मी है
फिर भी हसता रहेता हूँ

जबसे तुमको देखा है
ख़ाब ही देखा करता हूँ

तुम पर हर्फ़ न आ जाये
दीवारों से डरता हूँ

मुझ पर तो खुल जा ‘शहज़ाद’
मैं तो तेरा अपना हूँ