मोहसिन नकवी उर्दू शायरी के एक बड़े नाम वाले शायर हैं. उनकी लिखी हुई एक ग़ज़ल आज पढ़िए – “रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो”
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया न करो
लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
सबको हालात की रूदाद सुनाया न करो
ये ज़ुरूरी नहीं हर शख़्स मसीहा ही हो
प्यार के ज़ख़्म अमानत हैं दिखाया न करो
शहर-ए-एहसास में पथराव बहुत हैं ‘मोहसिन’
दिल को शीशे के झरोखों में सजाया न करो
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