पढ़िए मशहूर शायर फरहत शहजाद की लिखी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल जिसका शीर्षक है – और काँटों को लहू किसने पिलाया होगा
और काँटों को लहू किसने पिलाया होगा
हम-सा दीवाना चमन में कोई आया होगा
बेसबब कोई उलझता है भला कब किससे
तुमने गुज़रा हुआ कल याद दिलाया होगा
जुज़ हमारे ऐ सुलगती हुई तन्हाई
तुझे ऐसे सीने से भला किसने लगाया होगा
कोई आया है न ‘शहज़ाद’ कोई आएगा
वहम ने याद के पर्दों को हिलाया होगा