आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा – अहमद फ़राज़

आज महफ़िल में पढ़िए अहमद फ़राज़ की एक बेहद मशहूर ग़ज़ल जिसे जगजीत सिंह ने भी अपनी आवाज़ में गाया है. ग़ज़ल का शीर्षक है – आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा.

Ahmad faraz

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा – अहमद फ़राज़

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा

इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा

तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे
और वो बाम-ए-रफ़ाक़त से उतर जायेगा

ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला
तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा

डूबते डूबते कश्ती तो ओछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा

अर्थ 

साहिल = किनारा
अता = दान
सर-ए-राह-ए-वफ़ा = प्यार का रास्ता
बाम-ए-रफ़ाक़त = दोस्ती/ निष्ठा की छत, प्यार की जवाबदारी
मानूस = आत्मीय, मुहब्बत करने वाला
ख़िल्वत-ए-ग़म = अकेलेपन का ग़म

Aankh Se Door Na Ho Dil Se Utar Jaayega

Aankh se door na ho dil se utar jaayega
waqt ka kya hai guzarta hai guzar jayega

itna manoos na ho khilwat-e-gham se apni
tu kabhi khud ko bhi dekhega to dar jayega

tum sar-e-raah-e-wafa dekhte reh jaoge
aur woh baam-e-rafaqat se utar jayega

zindagi teri ata hai to ye jaane wala
teri bakhshish teri dahleez pe dhar jayega

Doobte doobte kashti to ochaala de doon
Main nahi koi to saahil pe utar jaayega

Zabt laazim hai magar dukh hai qayamat ka ‘Faraz’
Zaalim ab ke bhi na royega to mar jaayega

Aankh Se Door Na Ho Dil Se Utar Jaayega Audio

Here is the audio of the ghazal which has been sung by Lata Mangeshkar.

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