The ghazal “Ab Ke Saal Poonam Mein, Jab Tu Aayegi Milne” by the urdu poet Zafar Gorakhpuri. ज़फ़र गोरखपुरी ऐसे शायर हैं जिसने एक विशिष्ट और आधुनिक अंदाज़ अपनाकर उर्दू ग़ज़ल के क्लासिकल मूड को नया आयाम दिया. उनकी ग़ज़ल “अब के साल पूनम में, जब तू आएगी मिलने” सुनिए आज जिसे गाया है सबरी ब्रदर्स ने.
अब के साल पूनम में, जब तू आएगी मिलने
अब के साल पूनम में, जब तू आएगी मिलने
हम ने सोच रखा है रात यूँ गुज़ारेंगे
धड़कनें बिछा देंगे शोख़ तेरे क़दमों पे
हम निगाहों से तेरी आरती उतारेंगे
तू कि आज क़ातिल है, फिर भी राहत-ए-दिल है
ज़हर की नदी है तू, फिर भी क़ीमती है तू
पस्त हौसले वाले तेरा साथ क्या देंगे
ज़िन्दगी इधर आ जा, हम तुझे गुज़ारेंगे
आहनी कलेजे को, ज़ख़्म की ज़रूरत है
उँगलियों से जो टपके, उस लहू की हाज़त है
आप ज़ुल्फ़-ए-जानां के, ख़म सँवारिए साहब
ज़िन्दगी की ज़ुल्फ़ों को आप क्या सँवारेंगे
हम तो वक़्त हैं पल हैं, तेज़ गाम घड़ियाँ हैं
बेकरार लमहे हैं, बेथकान सदियाँ हैं
कोई साथ में अपने, आए या नहीं आए
जो मिलेगा रस्ते में हम उसे पुकारेंगे
Ab Ke Saal Poonam Mein, Jab Tu Aayegi Milne
Ab ke saal poonam men, jab tu aayegi milne
Hum ne soch rakhaa hai raat yun gujaarenge
Dhadkanen bichhaa denge shokh tere kdamon pe
Hum nigaahon se teri arati utaarenge
Tu ki aaj kaatil hai, fir bhi rahat-e-dil hai
zehar ki nadi hai tu, fir bhii keemti hai tu
Past hausale vaale tera saath kyaa denge
zindagi idhar aa jaa, hum tujhe gujaarenge
Aahani kaleje ko, zakhm ki zaroorat hai
Ungaliyon se jo tapake, us lahu kii haajt hai
Aap zulf-e-jaanaan ke, kham sanvaarie saahab
Zindagii ki zulfon ko aap kyaa sanvaarenge
Hum to waqt hain pal hain, tej gaam ghadiyaan hain
Bekaraar lamahe hain, bethakaan sadiyaan hain
Koi saath men apane, aae yaa nahiin aae
Jo milegaa raste men ham use pukaarenge
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