जिगर मुरादाबादी 20 वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध उर्दू कवि और उर्दू गजल के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं. उनकी एक ग़ज़ल पढ़िए – “दिल को जब दिल से राह होती है “ .
दिल को जब दिल से राह होती है
आह होती है वाह होती है
इक नज़र दिल की सिम्त देख तो लो
कैसे दुनिया तबाह होती है
हुस्न-ए-जानाँ की मन्ज़िलों को न पूछ
हर नफ़स एक राह होती है
क्या ख़बर थी कि इश्क़ के हाथों
ऐसी हालत तबाह होती है
साँस लेता हूँ दम उलझता है
बात करता हूँ आह होती है
जो उलट देती है सफ़ों के सफ़े
इक शिकस्ता-सी आह होती है