अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन – फ़राज़

अहमद फ़राज़ आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ शायरों में से हैं. उनकी शायरी दर्द और मोहब्बत की शायरी है. पेश है फ़राज़ की एक बेहतरीन ग़ज़ल- अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन

Ahmad faraz

अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन – फ़राज़

अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन
ज़ख़्म फूलों की तरह महकेंगे पर देखेगा कौन

देखना सब रक़्स-ए-बिस्मल में मगन हो जाएँगे
जिस तरफ़ से तीर आयेगा उधर देखेगा कौन

वो हवस हो या वफ़ा हो बात महरूमी की है
लोग तो फल-फूल देखेंगे शजर देखेगा कौन

हम चिराग़-ए-शब ही जब ठहरे तो फिर क्या सोचना
रात थी किस का मुक़द्दर और सहर देखेगा कौन

आ फ़सील-ए-शहर से देखें ग़नीम-ए-शहर को
शहर जलता हो तो तुझ को बाम पर देखेगा कौन