याद कर के मुझे नम हो गई पलकें – परवीन शाकिर

Yaad Kar Ke Mujhe Nam Ho Gayi Palken – Read this beautiful ghazal by Parveen Shaakir: परवीन शाकिर का लिखा बेहद खूबसूरत ग़ज़ल पढ़िए.

याद कर के मुझे नम हो गई पलकें - परवीन शाकिर

याद कर के मुझे नाम हो गई होगी पलकें
“आँख में कुछ पड़ गया कह के टाला होगा
और घबरा के किताबों में जो ली होगी पनाह
हर सतर में मेरा चेहरा उभर आया होगा

जब मिली होगी मुझे मेरी हालत की खबर
उस ने आहिस्ता से दिवार को थामा होगा
सोच कर ये थम जाए परेशानी-ए-दिल
युहीं बेवजह किसी शख्स को रोका होगा

इत्तिफाकन मुझे उस शाम मेरी दोस्त मिली
मैंने पूछा कि सुनो, आये थे वो? कैसे थे?
मुझको पूछा था? मुझे ढूँढा था चारों जानिब
उसने इक लमहे को देखा मुझे और फिर हँस दी
उस हँसी में वो तल्खी थी कि उसने आगे क्या कहा
उसने मुझे याद नहीं है लेकिन इतना मालुम है,
ख्वाबों का भरम टूट गया