वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है – मिर्ज़ा ग़ालिब

Presenting the ghazal “Wo Aaye Ghar Mein Humare Khuda Ki Kudrat Hai”, written by the Urdu Poet Mirza Ghalib.

Mirza Ghalib Shayari - Urdu Shayari Ghazal and Sher of Ghalib

ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं

ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को कभी नामा-बर को देखते हैं

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

नज़र लगे न कहीं उस के दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को देखते हैं

तिरे जवाहिर-ए-तुर्फ़-ए-कुलह को क्या देखें
हम औज-ए-ताला-ए-लाला-ओ-गुहर को देखते हैं