यारो मुझे मुआफ़ करो मैं नशे में हूँ – मीर तक़ी ‘मीर’

ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी “मीर” जो उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे, उनकी ग़ज़ल “यारो मुझे मुआफ़ करो मैं नशे में हूँ” पढ़िए, जिसे गाया है पंकज उधास ने, और सी.एच.आत्म ने भी इस ग़ज़ल को अपनी आवाज़ में गाया है.

Meer Taqi Meer

यारो मुझे मु’आफ़ रखो मैं नशे में हूँ
अब दो तो जाम खाली ही दो मैं नशे में हूँ

माज़ूर हूँ जो पाओं मेरा बेतरह पड़े
तुम सर-गराँ तो मुझ से न हो मैं नशे में हूँ

या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय
या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ

मस्ती से दरहमी है मेरी गुफ्तगू के बीच
जो चाहो तुम भी मुझको को कहो में नशे में हूँ

नाजुक मिजाज आप क़यामत है मीर जी
ज्यों शीशा मेरे मुंह न लगो में नशे में हूँ

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