ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी “मीर” जो उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे, उनकी ग़ज़ल “तुम नहीं फ़ितना-साज़ सच साहब” पढ़िए.
तुम नहीं फ़ितना-साज़ सच साहब
शहर पुर-शोर इस ग़ुलाम से है
कोई तुझसा भी काश तुझ को मिले
मुद्दा हम को इन्तक़ाम से है
शेर मेरे हैं सब ख़्वास पसंद
पर मुझे गुफ़्तगू आवाम से है
सहल है ‘मीर’ का समझना क्या
हर सुख़न उसका इक मक़ाम से है