वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए – अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ शायरों में से हैं. उनकी शायरी दर्द और मोहब्बत की शायरी है. पेश है फ़राज़ की एक बेहतरीन ग़ज़ल- वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए

Ahmad faraz

वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए

वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए
घर तो घर हर रास्ता आरास्ता मैंने किया।

ये दिल जो तुझको ब ज़ाहिर भुला चुका भी है
कभी-कभी तेरे बारे में सोचता भी है।

सुना है बोलें तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं

ये कौन है सरे साहिल कि डूबने वाले
समन्दरों की तहों से उछल के देखते हैं

उसकी वो जाने उसे पासे-वफ़ा था कि न था
तुम फ़राज़ अपनी तरफ़ से तो निभाते जाते।

होते रहे दिल लम्हा-ब-लम्हा तहो-बाला
वो ज़ीना-ब-जीना बड़े आराम से उतरे