फ़रियाद की कोई लय नहीं है – मिर्ज़ा ग़ालिब

Presenting the ghazal “Fariyaad Ki Koi Lay Nahi Hai”, written by the Urdu Poet Mirza Ghalib.

Mirza Ghalib Shayari - Urdu Shayari Ghazal and Sher of Ghalib

फ़रियाद की कोई लय नहीं है

फ़रियाद की कोई लय नहीं है
नाला पाबंद-ए-नय नहीं है

क्यूँ बोते हैं बाग़बान तोंबे
गर बाग़ गदा-ए-मय नहीं है

हर-चंद हर एक शय में तू है
पर तुझ सी कोई शय नहीं है

हाँ खाइयो मत फ़रेब-ए-हस्ती
हर-चंद कहें कि है नहीं है

शादी से गुज़र कि ग़म न होवे
उरदी जो न हो तो दय नहीं है

क्यूँ रद्द-ए-क़दह करे है ज़ाहिद
मय है ये मगस की क़य नहीं है

हस्ती है न कुछ अदम है ‘ग़ालिब’
आख़िर तू क्या है ऐ नहीं है