दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
आईना-दार-ए-मोहब्बत हूँ कि अरबाब-ए-वफ़ा
अपने ग़म को मिरे अंजाम से पहचानते हैं
बादा ओ जाम भी इक वजह-ए-मुलाक़ात सही
हम तुझे गर्दिश-ए-अय्याम से पहचानते हैं
पौ फटे क्यूँ मिरी पलकों पे सजाते हो इन्हें
ये सितारे तो मुझे शाम से पहचानते हैं
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dil pe aa.e hue ilzām se pahchānte haiñ
log ab mujh ko tire naam se pahchānte haiñ
ā.īna-dār-e-mohabbat huuñ ki arbāb-e-vafā
apne ġham ko mire anjām se pahchānte haiñ
baada o jaam bhī ik vaj.h-e-mulāqāt sahī
ham tujhe gardish-e-ayyām se pahchānte haiñ
pau phaTe kyuuñ mirī palkoñ pe sajāte ho inheñ
ye sitāre to mujhe shaam se pahchānte haiñ