पढ़िए मशहूर शायर फरहत शहजाद की लिखी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल जिसका शीर्षक है – ज़िंदगी को उदास कर भी गया
ज़िंदगी को उदास कर भी गया – फ़रहत शहज़ाद
ज़िंदगी को उदास कर भी गया
वो के मौसम था इक गुज़र भी गया
सारे हमदर्द बिछड़े जाते हैं
दिल को रोते ही थे जिगर भी गया
ख़ैर मंज़िल तो हमको क्या मिलती
शौक़-ए-मंज़िल में हमसफ़र भी गया
मौत से हार मान ली आख़िर
चेहरा-ए-ज़िंदगी उतर भी गया