वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा – अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ शायरों में से हैं. उनकी शायरी दर्द और मोहब्बत की शायरी है. पेश है फ़राज़ की एक बेहतरीन ग़ज़ल- वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा

Ahmad faraz

वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा 

वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा
अगर चला है तो जो कुछ मुझे दिया ले जा

मक़ाम-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ आ गया है फिर जानाँ
ये ज़ख़्म मेरे सही तीर तो उठा ले जा

यही है क़िस्मत-ए-सहरा यही करम तेरा
कि बूँद-बूँद अता कर घटा-घटा ले जा

ग़ुरूर-ए-दोस्त से इतना भी दिलशिकस्ता न हो
फिर उठ के सामने दामन-ए-इल्तजा ले जा

नदामतें हों तो सर बार-ए-दोश होता है
“फ़राज़” जाँ के एवज़ आबरू बचा ले जा