तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को – वसीम बरेलवी

वसीम बरेलवी जो कि उर्दू शायरी के ये एक बेहद प्रसिद्ध शायर हैं, उनकी ये खूबसूरत ग़ज़ल पढ़िए जिसका शीर्षक है – “तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को”.

वसीम बरेलवी Waseem Barelvi

तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को

तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को
मैंने महफूज़ समझ रखा था तन्हाई को

जिस्म की चाह लकीरों से अदा करता है
ख़ाक समझेगा मुसव्विर तेरी अँगडाई को

अपनी दरियाई पे इतरा न बहुत ऐ दरिया
एक कतरा ही बहुत है तेरी रुसवाई को

चाहे जितना भी बिगड़ जाए ज़माने का चलन
झूठ से हारते देखा नहीं सच्चाई को

साथ मौजों के सभी हो जहाँ बहने वाले
कौन समझेगा समन्दर तेरी गहराई को

Tujhko sochaa to pataa ho gayaa rusavaaii ko

Tujhko sochaa to pataa ho gayaa rusavaaii ko
Maine mahfooj samajh rakhaa thaa tanhaaii ko

Jism kii chaah lakiiron se adaa karataa hai
Khaak samajhegaa musavvir terii angadaaii ko

Apanii dariyaaii pe itaraa n bahut ai dariyaa
Ek kataraa hii bahut hai terii rusavaaii ko

Chaahe jitanaa bhii bigad jaae jmaane kaa chalan
Jhooth se haarate dekhaa nahiin sachchaaii ko

Saath maujon ke sabhii ho jahaan bahane vaale
Kaun samajhegaa samandar terii gaharaaii ko