The ghazal “Sahar Ne Aa Kar Mujhe Sulaya To Main Ne Jaana” by the urdu poet Wazir Agha. वज़ीर आग़ा एक बेहद प्रसिद्ध और विशिष्ट शायर हैं. सुनिए उनकी ग़ज़ल “सहर ने आ कर मुझे सुलाया तो मैं ने जाना”.
सहर ने आ कर मुझे सुलाया तो मैं ने जाना
सहर ने आ कर मुझे सुलाया तो मैं ने जाना
फिर एक सपना मुझे दिखाया तो मैं ने जाना
ब-जुज़ हवा अब रुकेगा कोई न पास मेरे
अँधेरी शब में दिया बुझाया तो मैं ने जाना
गया ये कह कर कि एक शब की है बात सारी
मगर वो जब लौट कर न आया तो मैं ने जाना
मैं एक तिनका रुका खड़ा था नदी किनारे
नदी ने बहना मुझे सिखाया तो मैं ने जाना
सियाह बादल में बर्क़ कौंदी तो सब ने देखा
तिरी हँसी ने मुझे रुलाया तो मैं ने जाना
मैं ओढ़ कर ख़ुद को सो गया था कि बे-ख़तर था
कोई परिंदा जो फड़-फड़ाया तो मैं ने जाना
मिरे ही सीने में सख़्त पत्थर सी शय है कोई
जो आज तू ने मुझे बताया तो मैं ने जाना
मैं तेरी नज़रों से गिर चुका था मगर जो तू ने
मिरी नज़र से मुझे गिराया तो मैं ने जाना
हवा में शामिल थी तिश्नगी उस के तन-बदन की
हवा ने मेरा बदन जलाया तो मैं ने जाना
Sahar Ne Aa Kar Mujhe Sulaya To Main Ne Jaana
Sahar ne aa kar mujhe sulaya to main ne jaana
Phir ek sapna mujhe dikhaya to main ne jaana
Ba-juz hava ab rukega koi na paas mere
Andheri shab men diya bujhaya to main ne jaana
Gaya ye kah kar ki ek shab ki hai baat saari
Magar vo jab lauT kar na aaya to main ne jaana
Main ek tinka ruka khada tha nadi kinare
Nadi ne bahna mujhe sikhaya to main ne jaana
Siyah badal men barq kaundi to sab ne dekha
Teri hansi ne mujhe rulaya to main ne jaana
Main oḌh kar ḳhud ko so gaya tha ki be-ḳhatar tha
Koi parinda jo phad-phadaya to main ne jaana
Mere hi siine men saḳht patthar si shai hai koi
Jo aaj tū ne mujhe bataya to main ne jaana
Main teri nazron se gir chuka tha magar jo tū ne
Meri nazar se mujhe giraya to main ne jaana
Hawa men shamil thi tishnagi us ke tan-badan ki
Hawa ne mera badan jalaya to main ne jaana