सच हैं हमीं को आप के शिकवे बजा न थे – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – “सच हैं हमीं को आप के शिकवे बजा न थे”.

Faiz Ahmad Faiz

सच हैं हमीं को आप के शिकवे बजा न थे
बेशक सितम जनाब के सब दोस्ताना थे

हाँ जो जफ़ा भी आप ने की क़ायेदे से की
हाँ हम ही काराबंद-ए-उसूल-ए-वफ़ा न थे

आये तो यूँ तो के जैसे हमेशा के मेहरबाँ
भूले तो यूँ के गोया कभी आशना न थे

क्यों दाद-ए-ग़म हम ने तलब की, बुरा किया
हम से जहाँ में कुश्ता-ए-ग़म और क्या न थे

गर फ़िक्र-ए-ज़ख़्म की तो ख़तावार हैं के हम
क्यों महव-ए-मध-ए-ख़ूबी-ए-तेग़-ए-अदा न थे

हर चारागर को चारागरी से गुरेज़ था
वर्ना हमें जो दुख थे बहुत लादवा न थे

लब पर है तल्ख़ि-ए-मय-ए-अय्याम वर्ना “फ़ैज़”
हम तल्ख़ि-ए-कलाम पर माइल ज़रा न थे