जोश मलीहाबादी उर्दू साहित्य में उर्दू पर अधिपत्य और उर्दू व्याकरण के सर्वोत्तम उपयोग के लिए जाने जाते है. उनकी एक ग़ज़ल पढ़िए – “किस को आती है मसिहाई किसे आवाज़ दूँ “.
किस को आती है मसिहाई किसे आवाज़ दूँ
बोल ऐ ख़ूं ख़ार तनहाई किसे आवाज़ दूँ
चुप रहूँ तो हर नफ़स डसता है नागन की तरह
आह भरने में है रुसवाई किसे आवाज़ दूँ
उफ़्फ़ ख़ामोशी की ये आहें दिल को बरमाती हुई
उफ़्फ़ ये सन्नाटे की शेहनाई किसे आवाज़ दूँ
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