इब्न-ए-इंशा पाकिस्तान के मशहूर वामपंथी कवि और लेखक हैं. उनकी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल पढ़ें जिसका शीर्षक है “रात के ख्वाब सुनाएं किस को रात के ख्वाब सुहाने थे “.
रात के ख्वाब सुनाए किस को रात के ख्वाब सुहाने थे|
धुंधले धुंधले चेहरे थे पर सब जाने पहचाने थे|
जिद्दी वहशी अल्हड़ चंचल मीठे लोग रसीले लोग,
होंठ उन के ग़ज़लों के मिसरे आंखों में अफ़साने थे|
ये लड़की तो इन गलियों में रोज़ ही घूमा करती थी,
इस से उन को मिलना था तो इस के लाख बहाने थे|
हम को सारी रात जगाया जलते बुझते तारों ने,
हम क्यूं उन के दर पे उतरे कितने और ठिकाने थे|
वहशत की उन्वान हमारी इन में से जो नार बनी,
देखेंगे तो लोग कहेंगे ‘इन्शा’ जी दीवाने थे|