Majaz Lakhnawi

Majaz Lakhnawi Asrar-ul-Haq (19 October 1911 – 5 December 1955), better known as Majaz Lakhnawi, was an Indian Urdu poet. He was known for his romantic and revolutionary poetry. He composed ghazals and nazms in Urdu. He was the maternal uncle of poet and screenplay writer Javed Akhtar.

असरारुल हक़ मजाज़ उर्दू के प्रगतिशील विचारधारा से जुड़े रोमानी शायर के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। लखनऊ से जुड़े होने से वे ‘मजाज़ लखनवी’ के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।

‘मजाज़’ प्रगतिशील आंदोलन के प्रमुख हस्ती रहे अली सरदार जाफ़री के निकट संपर्क में थे और इसलिए प्रगतिशील विचारधारा से प्रभावित भी थे। स्वभाव से रोमानी शायर होने के बावजूद उनके काव्य में प्रगतिशीलता के तत्त्व मौजूद रहे हैं। उपयुक्त शब्दों का चुनाव और भाषा की रवानगी ने उनकी शायरी को लोकप्रिय बनाने में प्रमुख कारक तत्व की भूमिका निभायी है। उन्होंने बहुत कम लिखा, लेकिन जो भी लिखा उससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली।

(Source: As read on Wikipedia)

Majaz Lakhnawi Shayari and Poem 

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Some Latest Added Poems of Majaz Lakhnawi

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Majaz Lakhnawi Chuninda Sher Shayari 

  • बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
    तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है
  • बताऊँ क्या तुझे हम-नशीं किस से मोहब्बत है
    मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है

  • कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैं
    ये किस के हाथ से दामन छुड़ा रहा हूँ मैं

  • तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
    बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं

  • हुस्न को शर्मसार करना ही
    इश्क़ का इंतिक़ाम होता है

  • तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
    तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था

  • ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
    तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं

  • आप की मख़्मूर आँखों की क़सम
    मेरी मय-ख़्वारी अभी तक राज़ है

  • मिरी बर्बादियों का हम-नशीनो
    तुम्हें क्या ख़ुद मुझे भी ग़म नहीं है

  • दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को
    और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं