His poetry has a distinctive diction laced with language reminiscent of Amir Khusro in its use of words and construction that is usually heard in the more earthy dialects of the Hindi-Urdu complex of languages, and his forms and poetic style is an influence on generations of young poets.
(Source: As read on Wikipedia)
Ibne Insha Shayari and Poem
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Some Latest Added Poems of Ibne Insha
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- इक बार कहो तुम मेरी हो – इब्ने इंशा
- ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया – इब्ने इंशा
- ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली – इब्ने इंशा
- और तो कोई बस न चलेगा – इब्ने इंशा
- सुनते हैं फिर छुप छुप उनके घर में आते जाते हो – इब्ने इंशा
- उस शाम वो रूख़्सत का समाँ याद रहेगा – इब्ने इंशा
- सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके – इब्ने इंशा
- दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो – इब्ने इंशा
- रात के ख्वाब सुनाएं किस को रात के ख्वाब सुहाने थे – इब्ने इंशा
- Us Shaam Wo Rukshat Ka Sama – Ibne Insha