निदा फ़ाज़ली हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे. इन्होने कई हिन्दी फिल्मों के लिये गाने लिखे हैं और कई शानदार ग़ज़लें जो बेहद मशहूर हैं. आज देखते हैं उनकी एक खूबसूरत रचना “नयी-नयी पोशाक बदलकर”.
नयी-नयी पोशाक बदलकर, मौसम आते-जाते हैं,
फूल कहॉ जाते हैं जब भी जाते हैं लौट आते हैं।
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
चलती-फिरती धूप-छॉव से, चहरा बाद में बनता है,
पहले-पहले सभी ख़यालों से तस्वीर बनाते हैं।
आंखों देखी कहने वाले, पहले भी कम-कम ही थे,
अब तो सब ही सुनी-सुनाई बातों को दोहराते हैं ।
इस धरती पर आकर सबका, अपना कुछ खो जाता है,
कुछ रोते हैं, कुछ इस ग़म से अपनी ग़ज़ल सजाते हैं।