मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं – बशीर बद्र

Mil Bhi Jaate Hain (मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं) – This famous ghazal is penned by Basheer Badr and sung by Anup Jalota.

बशीर बद्र Basheer Badr

Singer – Mehdi Hasan
Lyrics – Basheer Badr

मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं
हाये मौसम की तरह दोस्त बदल जाते हैं

हम अभी तक हैं गिरफ़्तार-ए-मुहब्बत यारो
ठोकरें खा के सुना था कि सम्भल जाते हैं

ये कभी अपनी जफ़ा पर न हुआ शर्मिन्दा
हम समझते रहे पत्थर भी पिघल जाते हैं

उम्र भर जिनकी वफ़ाओं पे भरोसा कीजे
वक़्त पड़ने पे वही लोग बदल जाते हैं