क्या छुपाते किसी से हाल अपना – फ़ानी बदायुनी

फ़ानी बदायुनी को निराशावाद का पेशवा कहा जाता है. उनकी शायरी दुख व पीड़ा की शायरी है. प्रस्तुत है उनकी एक वैसी ही शायरी “क्या छुपाते किसी से हाल अपना”.

फ़ानी बदायूनी Fani Badayuni

क्या छुपाते किसी से हाल अपना
जी ही जब हो गया निढाल अपना

हम हैं उस के ख़याल की तस्वीर
जिस की तस्वीर है ख़याल अपना

वो भी अब ग़म को ग़म समझते हैं
दूर पहुँचा मगर मलाल अपना

तू ने रख ली गुनाहगार की शर्म
काम आया न इंफ़िआल अपना

देख दिल की ज़मीं लरज़ती है
याद-ए-जानाँ क़दम संभाल अपना

बा-ख़बर हैं वो सब की हालत से
लाओ हम पूछ लें न हाल अपना

मौत भी तो न मिल सकी ‘फ़ानी’
किस से पूरा हुआ सवाल अपना