ख़ुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था – फरहत / मेहदी हसन

Khuli Jo Aankh To Wo Tha Na Wo Zamana Tha – This ghazal has been penned by renowed shayar Farhat Shahzad. Mehdi Hassan has sung this ghazal. This ghazal is the part of the album “Kahna Usey”.

Song Name – Khuli Jo Aankh To Wo Tha Na Wo Zamana Tha
Singer – Mehdi Hassan
Lyrics – Farhat Shahzad

Kahna usey mehdi hassan farhat shazad

ख़ुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था

ख़ुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था
दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था

ग़मों ने बाँट लिया है मुझे यूँ आपस में
के जैसे मैं कोई लूटा हुआ ख़ज़ाना था

ये क्या के चंद ही क़दमों पे थक के बैठ गये
तुम्हें तो साथ मेरा दूर तक निभाना था

मुझे जो मेरे लहू में डुबो के गुज़रा है
वो कोई ग़ैर नहीं यार एक पुराना था

भरम ख़ुलूस-ओ-मोहब्बत का जाँ रह जाता
ज़रा सी देर मेरा प्यार तो आज़माना था

ख़ुद अपने हाथ से “शहज़ाद” उस को काट दिया
के जिस दरख़्त के टहनी पे आशियाना था

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