जब घटा कोई टूट कर बरसे – फ़रहत शहज़ाद

पढ़िए मशहूर शायर फरहत शहजाद की लिखी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल जिसका शीर्षक है – जब घटा कोई टूट कर बरसे

Farhat Shahzad

जब घटा कोई टूट कर बरसे – फ़रहत शहज़ाद

जब घटा कोई टूटकर बरसे
दिल मेरा तेरे लम्स को तरसे

फिर तेरा नाम शाम तन्हाई
सहमी-सहमी हैं धड़कनें डर से

हाल अन्दर का बस ख़ुदा जाने
कितना रौशन है दीप बाहर से

जाने शहज़ाद बिन तेरे जीना
बूँद जैसे जुदा समन्दर से