दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – “दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के”.

Faiz Ahmad Faiz

दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

वीराँ है मैकदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास है
तुम क्या गये के रूठ गये दिन बहार के

इक फ़ुरसत-ए-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखे हैं हम ने हौसले परवरदिगार के

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के

भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज ‘फ़ैज़’
मत पूछ वल-वले दिल-ए-ना-कर्दाकार के

  • Listen to this ghazal audio version from the album “Naqsh-E-Faryadi”, recital by Faiz – Play on Gaana.