सुनने को भीड़ है सर-ए-महशर लगी हुई – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – “सुनने को भीड़ है सर-ए-महशर लगी हुई”.

Faiz Ahmad Faiz

सुनने को भीड़ है सर-ए-महशर लगी हुई
तोहमत तुम्हारे इश्क़ की हम पर लगी हुई

रिन्दों के दम से आतिश-ए-मै के बग़ैर भी
है मैकदे में आग बराबर लगी हुई

आबाद कर के शहर-ए-ख़मोशाँ हर एक सू
किस खोज में है तेग़-ए-सितमगर लगी हुई

जीते थे यूँ तो पहले भी हम जाँ पे खेल कर
बाज़ी है अब ये जान से बढ़ कर लगी हुई

लाओ तो क़त्लनामा मेरा मैं भी देख लूँ
किस किस की मुहर है सर-ए-महज़र लगी हुई

आख़िर को आज अपने लहू पर हुई तमाम
बाज़ी मियान-ए-क़ातिल-ओ-ख़ंजर लगी हुई