Sarakti Jaaye Hai Ruk Se Naqaab Lyrics – Listen to the beautiful ghazal by Aamir Minai which is sung by Jagjit and Chitra Singh.
अमीर मीनाई की लिखी और जगजीत सिंह द्वारा गाई गयी यह मशहूर गजल भारत के हर ख़ास-ओ-आम की जुबान पर चढ़ी रहती है. इस मशहूर गजल के एक हिस्से में जिस रामी धोबन और चंडीदास का जिक्र किया है जगजीत सिंह ने.
Sarakti Jaaye Hai Ruk Se Naqaab Lyrics – Jagjit and Chitra
“गई जब रामी धोबन एक दिन दरिया नहाने को
वहाँ बैठा था चंडीदास अफ़साना सुनाने को
कहा उसने के रामी छोड़ दे सारे ज़माने को
बसाना है अगर उल्फ़त का घर आहिस्ता आहिस्ता”
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता
जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता
शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता
सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना
दबे होंटों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता
वो बेदर्दी से सर काटें ‘अमीर’ और मैं कहूँ उन से
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता
Sarakti Jaaye Hai Ruk Se Naqaab Lyrics (English Font)
Sarakti jaae hai ruḳh se naqab ahista ahista
Nikalta aa raha hai aftab ahista ahista
Javan hone lage jab vo to ham se kar liya parda
Hayā yak-laḳht aa.ī aur shabāb āhista āhista
Shab-e-furqat kā jaagā huuñ farishto ab to sone do
Kabhī fursat meñ kar lenā hisāb āhista āhista
Savāl-e-vasl par un ko adū kā ḳhauf hai itnā
Dabe hoñToñ se dete haiñ javāb āhista āhista
Vo bedardī se sar kāTeñ ‘amīr’ aur maiñ kahūñ un se
Huzūr āhista āhista janāb āhista āhista
Listen to this ghazal in a concert by Jagjit Singh and Chitra singh –
And here’s the solo version of the ghazal that is sung by Jagjit Singh –