प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह – गोपालदास “नीरज”

गोपालदास नीरज हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे. प्रस्तुत है उनकी एक कविता जिसका शीर्षक है – प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह

Hindi Poet Gopal Das Neeraj

प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह

जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह,
याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह।

ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा,
जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह।

कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो,
ज़िन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह।

दाग़ मुझमें है कि तुझमें यह पता तब होगा,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह।

हर किसी शख़्स की किस्मत का यही है किस्सा,
आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की तरह।

जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की ‘नीरज’,
शायरी तो है वह अख़बार की कतरन की तरह।