Pareshan raat sari hai sitaron tum so jao – This ghazal has been penned by Qateel Shifai and sung by Jagjit singh. Below is the link for audio.
परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ
परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ
हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में
हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ
तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं आया
ये बाज़ी हमने हारी है सितारों तुम तो सो जाओ
कहे जाते हो रो-रो के हमारा हाल दुनिया से
ये कैसी राज़दारी है सितारों तुम तो सो जा
हमें तो आज की शब पौ फटे तक जागना होगा
यही क़िस्मत हमारी है सितारों तुम तो सो जाओ
हमें भी नींद आ जायेगी हम भी सो ही जायेंगे
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम तो सो जाओ
Pareshan raat sari hai sitaron tum so jao
Pareshan raat sari hai sitaron tum so jao
Sukut-e-marg taari hai sitron tum to so jao
Tumhen kya aaj bhi koi agar milne nahi aaya
Ye baazi humne haari hai sitron tum to so jao
Kahe jaate ho ro-ro ke humaara haal duniya se
Ye kaisi raazdaari hai sitron tum to so jao
Hame to aaj ki shab pau-fate tak jaagna hoga
Yahi kismat hamari hai sitaron tum to so jao
Hame bhi neend aa jayegi hum bhi so hi jayenge
Abhi kuch bekarari hai sitaro tum to so jao