ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें – अहमद फ़राज़

आज महफ़िल में पढ़िए अहमद फ़राज़ की एक बेहद मशहूर ग़ज़ल जिसे जगजीत सिंह ने भी अपनी आवाज़ में गाया है. ग़ज़ल का शीर्षक है – ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें.

Ahmad faraz

ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें
साक़िया साक़िया संभाल हमें

रो रहे हैं के एक आदत है
वरना इतना नहीं मलाल हमें

हम यहाँ भी नहीं है ख़ुश लेकिन
अपनी महफ़िल से मत निकाल हमें

हम तेरे दोस्त हैं ‘फ़राज़’ मगर
अब न उलझनों में डाल हमें

ख़लवती हैं तेरे जमाल के हम
आईने की तरह संभाल हमें

इख़्तिलाफ़-ए-जहाँ का रंज न था
दे गए मात हम-ख़याल हमें

क्या तवक़्क़ो करें ज़माने से
हो भी ग़र जुर्रत-ए-सवाल हमें

अर्थ 

तवक़्क़ो = आशा, उम्मीद
जुर्रत-ए-सवाल = प्रश्न पूछने का साहस
ख़लवती = एकान्त प्रिय
जमाल = सौंदर्य, शोभा
इख़्तिलाफ़-ए-जहाँ = दुनिया से मतभेद
रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा
हम-ख़याल = एक से विचार वाले

Le Uda Phir Koi Khayaal Hamain

Le Uda Phir Koi Khayaal Hamain
Saaqiya Saaqiya Sambhaal Hamain

Ro Rahe Hain Ke Ek Aadat Hai
Warna Itna Nahin Malaal Hamain

Hum Yahaan Bhi Nahin Hain Khush Lekin
Apni Mehfil Se Matt Nikaal Hamain

Hum Tere Dost Hain ‘Faraz’ Magar
Ab Na Aur Uljhanon Mein Daal Hamain

Khalwati Hain Tere Jamaal Ke Hum
Aaeene Ki Tarah Sambhaal Hamain

Ikhtalaaf-E-Jahaan Ka Ranj Na Tha
De Gayye Maat Hum-Khayal Hamain

Kya Tawaqqo Karen Zamaane Se
Ho Bhi Gar Jurrat-E-Sawaal Hamain

Le Uda Phir Koi Khayaal Hamain Audio

This ghazal has been sung by Pamela Singh and the link is given below.

Wynk and Jio Saavn

Jagjit Singh has also sung this song, however the Jagjit Singh version of the song remained unreleased. Here is one song taken from Youtube – Le Uda Phir Koi Khayal Humein