फ़ानी बदायुनी को निराशावाद का पेशवा कहा जाता है. उनकी शायरी दुख व पीड़ा की शायरी है. प्रस्तुत है उनकी एक वैसी ही शायरी “कारवाँ गुज़रा किया हम रहगुज़र देखा किये”.
करवाँ गुज़रा किया हम रहगुज़र देखा किये
हर क़दम पर नक़्श-ए-पा-ए- राहबर देखा किये
यास जब छाई उम्मीदें हाथ मल कर रह गईं
दिल की नब्ज़ें छुट गयीं और चारागर देखा किये
रुख़ मेरी जानिब निगाह-ए-लुत्फ़ दुश्मन की तरफ़
यूँ उधर देखा किये गोया इधर देखा किये
दर्द-मंदाने-वफ़ा की हाये रे मजबूरियाँ
दर्दे-दिल देखा न जाता था मगर देखा किये
तू कहाँ थी ऐ अज़ल ! ऐ नामुरादों की मुराद !
मरने वाले राह तेरी उम्र भर देखा किये