तेरी सूरत जो दिलनशीं की है – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – “तेरी सूरत जो दिलनशीं की है”.

Faiz Ahmad Faiz

तेरी सूरत जो दिलनशीं की है
आशना शक्ल हर हसीं की है

हुस्न से दिल लगा के हस्ती की
हर घड़ी हमने आतशीं की है

सुबहे-गुल हो की शामे-मैख़ाना
मदह उस रू-ए-नाज़नीं की है

शैख़ से बे-हिरास मिलते हैं
हमने तौबा अभी नहीं की है

ज़िक्रे-दोज़ख़, बयाने-हूरो-कुसूर
बात गोया यहीं कहीं की है

अश्क़ तो कुछ भी रंग ला न सके
ख़ूं से तर आज आस्तीं की है

कैसे मानें हरम के सहल-पसन्द
रस्म जो आशिक़ों के दीं की है

फ़ैज़ औजे-ख़याल से हमने
आसमां सिन्ध की ज़मीं की है