Presenting the ghazal “Kahun Jo Haal To Kahte Ho Mudda”, written by the Urdu Poet Mirza Ghalib. This ghazal has also been sung by the singer C.H Atma, and music composed by Khaiiyaam.
कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ’ कहिए
तुम्हीं कहो कि जो तुम यूँ कहो तो क्या कहिए
न कहियो ता’न से फिर तुम कि हम सितमगर हैं
मुझे तो ख़ू है कि जो कुछ कहो बजा कहिए
वो नेश्तर सही पर दिल में जब उतर जावे
निगाह-ए-नाज़ को फिर क्यूँ न आश्ना कहिए
नहीं ज़रीया-ए-राहत जराहत-ए-पैकाँ
वो ज़ख़्म-ए-तेग़ है जिस को कि दिल-कुशा कहिए
जो मुद्दई’ बने उस के न मुद्दई’ बनिए
जो ना-सज़ा कहे उस को न ना-सज़ा कहिए
कहीं हक़ीक़त-ए-जाँ-काही-ए-मरज़ लिखिए
कहीं मुसीबत-ए-ना-साज़ी-ए-दवा कहिए
कभी शिकायत-ए-रंज-ए-गिराँ-नशीं कीजे
कभी हिकायत-ए-सब्र-ए-गुरेज़-पा कहिए
रहे न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजे
कटे ज़बान तो ख़ंजर को मर्हबा कहिए
नहीं निगार को उल्फ़त न हो निगार तो है
रवानी-ए-रविश ओ मस्ती-ए-अदा कहिए
नहीं बहार को फ़ुर्सत न हो बहार तो है
तरावत-ए-चमन ओ ख़ूबी-ए-हवा कहिए
सफ़ीना जब कि किनारे पे आ लगा ‘ग़ालिब’
ख़ुदा से क्या सितम-ओ-जौर-ए-ना-ख़ुदा कहिए
Ghazal Details
Song :- Kahoon Jo Haal-E-Dil
Singer :- C. H. Atma
Music Director :- Khaiyyaam
Lyricist :- Mirza Ghalib
Label :: Saregama India Ltd
Listen to this ghazal audio on Youtube – Kahoon Jo Haal.