ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी “मीर” जो उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे, उनकी ग़ज़ल “जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा” पढ़िए.
जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा
जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा
तो जीना हमें अपना दुशवार होगा
ग़म-ए-हिज्र रखेगा बेताब दिल को
हमें कुढ़ते-कुढ़ते कुछ आज़ार होगा
जो अफ़्रात-ए-उल्फ़त है ऐसा तो आशिक़
कोई दिन में बरसों का बिमार होगा
उचटती मुलाक़ात कब तक रहेगी
कभू तो तह-ए-दिल से भी यार होगा
तुझे देख कर लग गया दिल न जाना
के इस संगदिल से हमें प्यार होगा