फ़ानी बदायुनी को निराशावाद का पेशवा कहा जाता है. उनकी शायरी दुख व पीड़ा की शायरी है. प्रस्तुत है उनकी एक वैसी ही शायरी “हर साँस के साथ जा रहा हूँ”.
हर साँस के साथ जा रहा हूँ
मैं तेरे क़रीब आ रहा हूँ
ये दिल में कराहने लगा कौन
रो रो के किसे रुला रहा हूँ
अब इश्क़ को बे-नक़ाब कर के
मैं हुस्न को आज़मा रहा हूँ
असरार-ए-जमाल खुल रहे हैं
हस्ती का सुराग़ पा रहा हूँ
तन्हाई-ए-शाम-ए-ग़म के डर से
कुछ उन से जवाब पा रहा हूँ
लज़्ज़त-कश-ए-आरज़ू हूँ ‘फ़ानी’
दानिस्ता फ़रेब खा रहा हूँ