दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है – जिगर मुरादाबादी

जिगर मुरादाबादी 20 वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध उर्दू कवि और उर्दू गजल के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं. उनकी एक ग़ज़ल पढ़िए – “दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है” .

Jigar Moradabadi

दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है
कुछ सहर का वक़्त है कुछ शाम है

इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनआम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है

दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके
अब यहाँ आराम ही आराम है

पी रहा हूँ आँखों-आँखों में शराब
अब न शीशा है न कोई जाम है

इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनाम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है

पीने वाले एक ही दो हों तो हों
मुफ़्त सारा मैकदा बदनाम है