फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – “तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है”.
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है
न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है
किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म
गिला है जो भी किसी से तेरी सबब से है
हुआ है जब से दिल-ए-नासबूर बेक़ाबू
कलाम तुझसे नज़र को बड़ी अदब से है
अगर शरर है तो भड़के, जो फूल है तो खिले
तरह तरह की तलब तेरे रन्ग-ए-लब से है
कहाँ गये शब-ए-फ़ुरक़त के जागनेवाले
सितारा-ए-सहर हम-कलाम कब से है
- Listen to this ghazal audio version from the album “Naqsh-E-Faryadi”, recital by Faiz – Play on Gaana.