चलो फिर से मुस्कुराएं – फैज़ अहमद फैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे. वे उर्दू शायरी के सबसे बड़े नाम में गिने जाते हैं. उनकी एक ग़ज़ल सुनिए – चलो फिर से मुस्कुराएं

Faiz ahmad Faiz album Shaam e shehr e yaaran

चलो फिर से मुस्कुराएं
चलो फिर से दिल जलाएं

जो गुज़र गई हैं रातें
उनहें फिर जगा के लाएं
जो बिसर गई हैं बातें
उनहें याद में बुलाएं
चलो फिर से दिल लगाएं
चलो फिर से मुस्कुराएं

किसी शह-नशीं पे झलकी
वो धनक किसी कबा की
किसी रग में कसमसाई
वो कसक किसी अदा की
कोई हरफ़े-बे-मुरव्वत
किसी कुंजे-लब से फूटा
वो छनक के शीशा-ए-दिल
तहे-बाम फिर से टूटा

ये मिलन की, नामिलन की
ये लगन की और जलन की
जो सही हैं वारदातें
जो गुज़र गई हैं रातें
जो बिसर गई हैं बातें
कोई इनकी धुन बनाएं
कोई इनका गीत गाएं
चलो फिर से मुस्कुराएं
चलो फिर से दिल जलाएं

This ghazal is from the Faiz Ahmad Faiz album’s Shaam-e-Shehr-e-Yaaran. Faiz Ahmad Faiz has recited his ghazal in his own voice. Listen to the audio on these streaming platforms –